बाबू कालीप्रसन्न चैटर्जी
आप लौहार से निकलनेवाले प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक के सहायक सज़्पादक थे। बैठकर प्रवचन करते थे। खड़े होकर भी आप व्याज़्यान दिया करते थे। घण्टों बोल सकते थे। प्रवचन के लिए तैयारी की आवश्यकता न थी, बस माँग होनी चाहिए उनका व्याज़्यान तैयार समझो।
वे कहानियाँ तथा चुटुकुले गढ़ने में सुदक्ष थे। उनके मित्र उनसे नये-नये चुटुकुले सुनने के लिए उन्हें घेरे रहते थे।
वेद, शास्त्र, उपनिषद् का अच्छा स्वाध्याय था। हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी सबमें धाराप्रवाह बोल सकते थे। बंगला पर तो अधिकार था ही। उनके व्याज़्यान सुनने के लिए लोग बहुत उत्सुक रहते थे।
एक व्याज़्यान में उन्होंने एक रोचक बात कही। उन दिनों पञ्जाब के स्कूलों में कलकज़ा के पी0 घोष का गणित, बीजगणित तथा रेखागणित पढ़ाया जाता था। जब पी0 घोष मरा तो आपने
अपने एक भाषण में कहा कि यदि पी0 घोष कुछ वर्ष पूर्व मर जाता तो वह (कालीप्रसन्न चटर्जी) भी मैट्रिक पास हो जाते। उनके इसी व्याज़्यान से लोगों को पता चला कि कालीप्रसन्नजी दसवीं पास नहीं। गणित न जानने के कारण वे मैट्रिक में रह गये।
स्कूली शिक्षा इतनी स्वल्प होने पर भी एक पत्रकार के रूप में आपके लेखों की धूम थी। आपकी पढ़े-लिखों लोगों में धाक थी।
एक समाजसेवी के रूप में आपकी कीर्ति थी। आर्यसमाज में आप बहुत प्रतिष्ठित समझे जाते थे।