अनुवाद
– डॉ. रामवीर
यह करने वाला ही जाने
अनुवाद है कितनी कठिन कला,
भाषाद्वय में नैपुण्य बिना
अनुवाद कहाँ होता है भला।
भाषाद्वय पर पूर्णाधिकार
जैसे हों किसी की दो-दो नार,
इक को ही कठिन है खुश रखना
दो की तो अपेक्षाएँ अपार।
अनुवादक की जिमेदारी
सोचो होती कितनी भारी,
केवल इक शबद की गलती भी
ला सकती है आफत भारी।
संस्कृत भाषा में ‘कोटि’ के
दो अर्थ बताए जाते हैं,
करोड़ और श्रेणी दोनों
इक साथ पढ़ाए जाते हैं।
‘वह उच्च कोटि का लेखक है’
यहाँ ‘कोटि’ का मतलब श्रेणी है,
यदि ‘कोटि’ का अर्थ करोड़ कोई
करता हो तो कितनी गफलत है।
‘त्रयस्त्रिंशत् कोटि देवता’ में
तैतिस तो है अनुवाद ठीक,
पर कोटि को कह देना करोड़
है नासमझी का ही प्रतीक।
अनुवाद की एक भूल ने ही
ये कैसे भ्रम फैला डाले,
तैंतीस श्रेणी देवों की जगह
तैंतीस करोड़ पुजवा डाले!
अनुवाद की भूलों के मारे
देखो ये हिन्दू बेचारे,
तीरथ तीरथ मन्दिर-मन्दिर
दिन रात फिरें मारे-मारे।
– 86, सैक्टर 46, फरीदाबाद (हरि)-121010
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