आँखों के लिए सर्वथा हितकारी – सप्तामृत लौह
– डॉ. एस.एल. वसन्त
कहते हैं जीवन की सबसे बड़ी नियामत आँखे हैं। नहीं तो जहान नहीं। अन्धा व्यक्ति सर्वथा अधूरा होता है। अतः हमेशा आँखों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। आँखों की सुरक्षा के लिए अनेक प्रकार के उपाय बतलाएँ जाते हैं। उनमें एक आयुर्वेदीय महौषधि है- सप्तामृत लौह।
इसका सेवन सभी लोग सुरक्षा की दृष्टि से कर सकते हैं। हानिरहित औषधि है, इसीलिए इसका नाम- सप्तामृत लौह, बड़ा आकर्षक नाम है। यह बाल-वृद्ध, सभी के लिए उपयोगी है। इसका योग बड़ा ही उपयोगी है, सप्तामृत का योग है- हरड़, बहेड़ा, आँवला। सब समभाग लेकर पाउडर बनावे। इसको ही त्रिफला कहते हैं। आम लोग भी कहते हैं- त्रिफला आँखों के लिए तथा सिर के बालों के लिए हितकारी होता है। इसके साथ ही मुलहठी का योग है। लौह भस्म सबके समान, साथ में त्रिफला घृत तथा शुद्ध मधु घृत से आधा मिलाकर लें।
इस प्रकार पूर्ण योग इस प्रकार है-
सप्तामृत लौह 4 से 8 गोली पीसकर त्रिफलाघृत या महात्रिफलाघृत 10 ग्राम सं. 5 ग्राम
शुद्ध शुद्ध मधु – 5 सं. 3 ग्राम
ऐसी एक भाग मिलाकर चाटें, 2 बार ऊपर से गाय का दूध पीवें। सुबह खाली पेट व सायं को 5-6 बजे।
इसके लगातार एक वर्ष तक सेवन करने से आँखों का चश्मा भी उतर जाता है, ऐसा अनेक लोगों का अनुभव है आँखों की सब बिमारियों में उपयोगी-हानिरहित दवा है।
इसके अतिरिक्त यदि किसी को मोतियाबिन्द सफेद आता हो तो- उसके लिए एक नेत्र बिन्दू का प्रयोग इस प्रकार है-
एक प्याज का रस – 50 एम.एल.
नीबू का रस – 50 एम.एल.
अरदक का रस – 50 एम.एल.
शुद्ध मधु – 50 या 100 एम.एल.
सबको मिलाकर एक घोल बन गया।
इसे कुछ समय बाद जब गाद नीचे बैठ जाए, तब ऊपर के स्वच्छ भाग को अलग कर एक काँच की शीशी में डालकर फ्रिज में रख दें। इसमें से सुबह-शाम दो-दो बून्द प्रत्येक आँख में डाले। यह दवा जरा लगती है, अतः उष्ण प्रकृति वाले या जिनकी आँखों में लाली हो, उनको इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। लमबे समय तक इसका उपयोग किया जा सकता। है। आँखों में गन्दा पानी जमा नहीं होता, मोतियाबिन्द जैसी बीमारी नहीं होगी।
सप्तामृत लौह का लगातार उपयोग का एक बहुत अच्छा उदाहरण मेरे सामने आया। वह इस प्रकार है- आज से लगभग 20 वर्ष पहले की बात है। मैं स्थायीरूप से फरीदाबाद (हरियाणा) में अनेक वर्षों तक रहा। तब मेरे पास एक मेरे एक बुजुर्ग वैद्य मित्र श्री आर्यव्रत शास्त्री ने गाजियाबाद से एक रोगी मेरे पास भेजा। रोगी का नाम था- श्री गौतम आर्य, आयु 28 वर्ष। उसकी आँखों की दृष्टि लगातार कम होती हुई 30 प्रतिशत ही रह गई थी, बड़ी चिन्ता की बात थी। उसने दिल्ली के एस अस्पताल के साथ जुड़े राजेन्द्र प्रसाद आई होस्पिटल के बड़े योग्य चिकित्सकों को दिखाया। सबने मना बोल दिया। वह धूमता हुआ फिर उक्त मेरे वैद्य मित्र श्री आर्यव्रत शास्त्री के पास पहुँच गया। उन्होंने उसे मेरे पास भेज दिया। मैंने उक्त सप्तामृत लौह का योग दिया। साथ उक्त दृष्टि बिन्दु भी लिख दिया। साथ में मैंने वृहदवात चिन्तामणि 2-2 गोली 2 बार शहद से सेवन करने को लिख दिया, किन्तु यह दवा उसने मँहगी होने के कारण नहीं की। बाकी सब दवा लेता रहा। दस मास बाद उसका फोन आया- वह दिल्ली में रहता था- मेरी आई साइड- नेत्र ज्योति 70 प्रतिशत हो गई। अब मेरी आयु 29 वर्ष की हो गई है, अतः विवाह करूँगा। मैंने उसे शुभाशीर्वाद दिया। अतः यह एक प्रत्यक्ष उदाहरण है- सप्तामृत लौह के उपयोग का।
इसके अतिरिक्त मैंने इसका उपयोग अनेक रोगियों में किया तथा अलपित के रोगियों को दिया। अच्छा लाभदायक है। मेरा वैद्य समुदाय से निवेदन है, इसका यथोचित उपयोग करके देखें।
-बी-1384, नागपाल स्ट्रीट, फाजिल्का, पंजाब
Sir suna hai ki ghee ke sath main Sevan karne se WO jahar ban jata hai ?? Ye nuska khatara bhi ban sakta hai
किसी भी प्रकार की औषधि का उपयोग चिकित्सक की देखरेख में ही करें बन्धु