श्री डॉ0 भीमराव अम्बेडकर को इण्टर पास करने के बाद बी0 ए0, एम0 ए0, पी0 एच0 डी0, डी0 एस0 सी0 (लन्दन), एल0 एल0 डी0, बार-एट-लासॉ, जैसी उपाधियों से विभूषित और प्रकाण्ड पण्डित बनाने में आर्यसमाजी आन्दोलन का, प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप में क्यों न हो, अविस्मरणीय योगदान रहा है। इस बात को और कोई जाने या न जाने स्वयं डॉ0 अम्बेडकर जरूर जानते थे। इसलिए भी उनके ग्रन्थों में आर्यसमाजी आन्दोलन के प्रति विशेष सहानुभूति नजर आती है।
जहाँ आर्यनरेश श्री सयाजीराव गायकवाड़ ने सन् 1912 से 1915 तक डॉ0 भीमरावजी अम्बेडकर को उच्च विद्याविभूषित करने के लिए शिष्यवृत्तियाँ प्रदान कीं और उन्हें अमेरिका भेजा, वहाँ अपने आपको हृदय से आर्यसमाजी कहलानेवाले राजर्षि शाहू महाराज ने भी सन् 1919 से 1922 तक अम्बेडकर की विदेश जाकर अध्ययन करने के लिए आर्थिक दृष्टि से सम्पूर्ण सहयोग दिया था।