ओउम
माननीय प्रधानमन्त्री जी
भारत सरकार
सादर सप्रेम नमस्ते
अजमेर के विमान तल को महर्षि दयानन्द के नाम नामी से सुशोभित किया जाये ऐसा हमारा आपसे नम्र निवेदन है I अजमेर का ही नहीं राजस्थान कि वीर भूमि से महर्षि का विशेष स्नेह तथा घनिष्ट सम्बन्ध रहा है I महर्षि ने अपने जीवन का अंतिम समय राजस्थान को देश हित में दिया I
मान्यवर ! पूरा देश जानता है कि सरदार पटेल ने अपना अंतिम भाषण ऋषि दयानन्द को श्रद्धांजलि के रूप में दिया I तब मातृभूमि के लौह पुरुष ने यह कहा था :
“The greatest contribution of Swami Dayanand as that he saved the country from falling into the morass of helplessness. He actually laid the foundation of India’s freedom.
भारत के स्वराज्य की जो ऋषि ने आधारशिला रखी अंतिम वेला आई तो राजस्थान में उस नींव में अपना आत्मोत्सर्ग भी कर दिया I
देश के क्रांतिकारियों के गुरु श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा ऋषि के प्रिय शिष्य थेI वह थे तो भुज कच्छ गुजरात से परन्तु उनकी आरंभिक कर्मभूमि राजस्थान – अजमेर ब्यावर ही थी I
राजस्थान के सबसे बड़े क्रन्तिकारी परिवार ( श्री कृष्णसिंह वारहट के कुल ) की देश हित सतत साधना कौन नहीं जानता ? देश का वह शूर शिरोमणि मूर्धन्य क्रांतिकारी प्रतापसिंह वारहट जिसने लार्ड होर्डिंग पर भारत की राजधानी दिल्ली में बम फेंक कर साम्राज्य को कंपा दिया और वह इस कुल से था और सच्चा व पक्का ऋषि भक्त था I
देश का उस युग का एकमेव विचारक और नेता ऋषि दयानन्द ही हैं जिसके क्रांतिकारियों के नाम तथा क्रांतिकारियों के ऋषि के नाम इतने पत्र मिलते हैं I श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा तथा श्री कृष्ण सिंह जी वारहट से ऋषि का पत्र व्यवहार परोपकारिणी सभा ने फिर से छपवाया है I इसमें यह सब पत्र हैं I ऐसे बेजोड़ देशभक्त इस युग के महान निर्माता के प्रति कृतज्ञता के प्रकाश के लिए विमान तल उसी के नाम से होना चाहिए I
राजस्थान यात्रा आरम्भ करते हुए ऋषि ने आगरा से एक गुप्त पत्र अपने गुजराती शिष्य सेवकलाल कृष्णदास के हाथ महादेव गोविन्द रानाडे तथा श्री गोपाल हरी को भुज कच्छ (गुजरात) के अवयस्क राजा खेंगार कि अल्प आयु के कारण गोरों द्वारा भुज कच्छ की भोली दीं दरिद्र प्रजा के लिए ऋषि चिंतित थे I (पंजाब के अवयस्क महाराजा दलीप सिंह को गोरे इन्लेंड ले गए और उसकी वही शादी करवा दी थी )
ऋषि दयानन्द के राजस्थान के राजाओं को राजधर्म का देश सेवा का सर्वश्रेष्ठ उपदेश दिया था :- “ सदा बलवान और राजपुरुषों से सताएं हुओं की पुकार यदि भोजन पर भी बैठे हों तो भोजन को भी छोड़ के उनकी बात सुननी और उसका यथोचित न्याय करना I ऐसा न हों कि निर्बल अनाथ लोग बलवान और राजपुरुषों से पीड़ित होकर रुदन करें और उनका अश्रु पात भूमि पर गिरे कि जिससे सर्वनाश जो जावे I “मान्यवर ! जिस भारतीय सन्यासी महात्मा, प्रखर राष्ट्रवादी पर आधुनिक काल में अमेरिका में सबसे पहले एक लंबा विचार उत्तेजक Sunday Magzine ने भी छापा I वह देश भक्त सन्यासी महर्षी दयानन्द सरस्वती ही थाI अमेरिका में जो भारतीय विचारक सुधारक का सबसे पहले चित्र छपा वह स्वामी दयानन्द सरस्वती ही था I सर यदुनाथ सरकार , डॉ ईश्वरी प्रसाद , श्री काशी प्रसाद जयसवाल , स्वातंत्र्य वीर सावरकर, देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद और देश सूत श्री डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी के उस महर्षी कि देन विषयक उदगार हम यहाँ उदृत करने कि आवश्यकता नहीं समझते I आप ये सब बातें जानते और मानते हैं I
माननीय प्रधानमन्त्री जी
भारत सरकार
सादर सप्रेम नमस्ते
अजमेर के विमान तल को महर्षि दयानन्द के नाम नामी से सुशोभित किया जाये ऐसा हमारा आपसे नम्र निवेदन है I अजमेर का ही नहीं राजस्थान कि वीर भूमि से महर्षि का विशेष स्नेह तथा घनिष्ट सम्बन्ध रहा है I महर्षि ने अपने जीवन का अंतिम समय राजस्थान को देश हित में दिया I
मान्यवर ! पूरा देश जानता है कि सरदार पटेल ने अपना अंतिम भाषण ऋषि दयानन्द को श्रद्धांजलि के रूप में दिया I तब मातृभूमि के लौह पुरुष ने यह कहा था :
“The greatest contribution of Swami Dayanand as that he saved the country from falling into the morass of helplessness. He actually laid the foundation of India’s freedom.
भारत के स्वराज्य की जो ऋषि ने आधारशिला रखी अंतिम वेला आई तो राजस्थान में उस नींव में अपना आत्मोत्सर्ग भी कर दिया I
देश के क्रांतिकारियों के गुरु श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा ऋषि के प्रिय शिष्य थेI वह थे तो भुज कच्छ गुजरात से परन्तु उनकी आरंभिक कर्मभूमि राजस्थान – अजमेर ब्यावर ही थी I
राजस्थान के सबसे बड़े क्रन्तिकारी परिवार ( श्री कृष्णसिंह वारहट के कुल ) की देश हित सतत साधना कौन नहीं जानता ? देश का वह शूर शिरोमणि मूर्धन्य क्रांतिकारी प्रतापसिंह वारहट जिसने लार्ड होर्डिंग पर भारत की राजधानी दिल्ली में बम फेंक कर साम्राज्य को कंपा दिया और वह इस कुल से था और सच्चा व पक्का ऋषि भक्त था I
देश का उस युग का एकमेव विचारक और नेता ऋषि दयानन्द ही हैं जिसके क्रांतिकारियों के नाम तथा क्रांतिकारियों के ऋषि के नाम इतने पत्र मिलते हैं I श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा तथा श्री कृष्ण सिंह जी वारहट से ऋषि का पत्र व्यवहार परोपकारिणी सभा ने फिर से छपवाया है I इसमें यह सब पत्र हैं I ऐसे बेजोड़ देशभक्त इस युग के महान निर्माता के प्रति कृतज्ञता के प्रकाश के लिए विमान तल उसी के नाम से होना चाहिए I
राजस्थान यात्रा आरम्भ करते हुए ऋषि ने आगरा से एक गुप्त पत्र अपने गुजराती शिष्य सेवकलाल कृष्णदास के हाथ महादेव गोविन्द रानाडे तथा श्री गोपाल हरी को भुज कच्छ (गुजरात) के अवयस्क राजा खेंगार कि अल्प आयु के कारण गोरों द्वारा भुज कच्छ की भोली दीं दरिद्र प्रजा के लिए ऋषि चिंतित थे I (पंजाब के अवयस्क महाराजा दलीप सिंह को गोरे इन्लेंड ले गए और उसकी वही शादी करवा दी थी )
ऋषि दयानन्द के राजस्थान के राजाओं को राजधर्म का देश सेवा का सर्वश्रेष्ठ उपदेश दिया था :- “ सदा बलवान और राजपुरुषों से सताएं हुओं की पुकार यदि भोजन पर भी बैठे हों तो भोजन को भी छोड़ के उनकी बात सुननी और उसका यथोचित न्याय करना I ऐसा न हों कि निर्बल अनाथ लोग बलवान और राजपुरुषों से पीड़ित होकर रुदन करें और उनका अश्रु पात भूमि पर गिरे कि जिससे सर्वनाश जो जावे I “मान्यवर ! जिस भारतीय सन्यासी महात्मा, प्रखर राष्ट्रवादी पर आधुनिक काल में अमेरिका में सबसे पहले एक लंबा विचार उत्तेजक Sunday Magzine ने भी छापा I वह देश भक्त सन्यासी महर्षी दयानन्द सरस्वती ही थाI अमेरिका में जो भारतीय विचारक सुधारक का सबसे पहले चित्र छपा वह स्वामी दयानन्द सरस्वती ही था I सर यदुनाथ सरकार , डॉ ईश्वरी प्रसाद , श्री काशी प्रसाद जयसवाल , स्वातंत्र्य वीर सावरकर, देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद और देश सूत श्री डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी के उस महर्षी कि देन विषयक उदगार हम यहाँ उदृत करने कि आवश्यकता नहीं समझते I आप ये सब बातें जानते और मानते हैं I
कृपया दृढ़ता पूर्वक यह निर्णय लेकर राजस्थान देश को गौरवान्वित कीजिये I
हम हैं आपके
ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी सभा “परोपकारिणी सभा अजमेर “
पण्डित लेखराम वैदिक मिशन “जोधपुर”
Thank You Very Much For Your Price Less Vote
vote link ‘
http://aryamantavya.in/rishi-dayanand/
It is not ‘price less’. It is ‘priceless’. Priceless is a single word. You have written ‘Click hear’. It should be ‘Click here’. Please correct this and other grammatical errors in your other pages as well.
thanks
स्वामी दयानंद सरस्वती जी