वेदप्रचार करो निष्ठा से
-पं. नन्दलाल निर्भय सिद्धान्ताचार्य
आर्य कुमारो! मिलजुल करके, आगे कदम बढ़ाओ।
वेदप्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
जगत के गुरु ऋषि दयानन्द थे, ईश्वर भक्त निराले।
वेदों के विद्वान् धुरन्धर, देश भक्त मतवाले।।
वीर स्पष्टवादी, बलशाली, बड़े तपस्वी त्यागी।
निर्बल, निर्धन के रक्षक, मानवता के अनुरागी।।
स्वामी जी-से धीर वीर बन, जग को स्वर्ग बनाओ।
वेदप्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
सकल जगत् में पाखण्डी, फिरते हैं शोर मचाते।
वेद विरोधी पोंगा पंथी, दुनियाँ को बहकाते।।
दुष्चरित्र बदमाश लफंगे, धर्मिक गुरु कहलाते।
ईश्वर पूजा छुड़वा दी, खुद को भगवान बताते।।
पोल खोल दो मुस्टंडों की, लेखराम बन जाओ।
वेद प्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
आसाराम, मुरारी की चल रही दुकान यहाँ पर।
घूम रहा सतपाल बना, अब बेईमान यहाँ पर।।
साँईदास तथा ब्रह्मा के भ्रष्ट कुमार-कुमारी।
वैदिक पथ को त्याग बने हैं दंभी और व्यभिचारी।।
लूट रहे भोली जनता को, पोपों के गढ़ ढाओ।
वेदप्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
अगर न दोगे ध्यान कु मारो! पीछे पछताओगे।
दुनियाँ में नासमझ साथियो! निश्चित कहलाओगे।।
स्वामी श्रद्धानन्द बनो तुम, शुद्धि चक्र चलवाओ।
बनो दर्शनानन्द, विश्व में ओ3म् ध्वजा लहराओ।।
कहने का अब समय नहीं है, करके काम दिखाओ।
वेदप्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
युवक-युवतियाँ बिगड़ गए, फैशन के हैं दीवाने।
वेद मन्त्र कुछ याद नहीं, गाते हैं गन्दे गाने।।
अण्डे मांस लगे खाने, करते हैं पाप निरन्तर।
गांजा, सुल्फा, मदिरा पी, पाते संताप निरन्तर।।
‘नन्दलाल’ नादानों को अब, वैदिक पाठ पढाओ।
वेदप्रचार करो निष्ठा से, सोया जगत् जगाओ।।
-आर्य सदन, बहीन जनपद पलवल (हरियाणा)
चलभाषः – 09813845774
Thanks dhanyavad
Gyanvardhak lekh
Arya Rajender
9041342483
Sangrur (Punjab)
Aryavrat
अति उत्तम्