यहूदी व ईसाई मुसलमानों के खुले दुश्मन हैं
यहूदी-ईसाई-मुशरिक-गैर मुस्लिम सभी को जब खुदा ने मुसलमानों का दुश्मन घोषित कर दिया और सभी से नफरत करने को कहा है तो उसका मतलब है कि खुदा मुसलमानों का दुनियाँ में बहिष्कार करना चाहता था। बतावें तब अरबी खुदा मुसलमानों को दुश्मन हुआ या दोस्त? यदि दोस्त हुआ तो कैसे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
या अय्युहल्लजी-न आमनू ला…………।।
(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ७ आयत ५१)
मुसलमान! यहूद और ईसाइयों को मित्र न बनाओ।
या अय्युहल्लजी-न आमनू…………..।।
(कुरान मजीद पारा ६ सूरा स्कू ८ आयत ५७)
…..और काफिरों को दोस्त मत बनाओ।
समीक्षा
अरबी खुदा चाहता है कि मुसलमान दुनियां में किसी को भी दोस्त न समझें। अर्थात् उनको भी संसार अपना दुश्मन समझकर उनसे घृणा करने लगे यदि संसार की सभी कौम, मुसलमानों का पूर्ण बहिष्कार सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक तौर पर कर दें तो खुदा की पूरी ताकत लगाने पर भी मुसलमान दुनियां से मिट जावेंगे । अरबी खुदा मुसलमानों का साक्षात शत्रु था तो उन्हें ऐसा हुक्म उसने दिया।