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क्या वाकई ताजमहल है एक शिव मंदिर तेजोमहालय…..

क्या वाकई ताजमहल है एक शिव मंदिर तेजोमहालय…..

कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया…

क्या वाकई ताजमहल है एक शिव मंदिर तेजोमहालय.....

नई दिल्ली: अगर हम आपसे पूछें कि ताजमहल मकबरा है या मंदिर तो आप चकरा जाएंगे। यही सवाल एक आम आदमी ने सरकार से पूछ लिया है। सरकार ने जबाव नहीं दिया तो इस व्यक्ति ने सूचना के अधिकार के तहत चीफ इन्फोर्मेशन कमिश्नर से शिकायत कर दी। अब CIC ने भारत सरकार से पूछा है कि वो बताए कि ताजमहल मंदिर है या मकबरा। इस सवाल ने करीब पांच सौ सालों से दबे इस विवाद को फिर जिन्दा कर दिया है। इतिहास की किताबों में तो यही दर्ज है कि दुनिया की ये अज़ीम और दिलकश इमारत मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल की कब्र है। इसको लेकर दशकों से बहस चली आ रही है। हर इतिहासकार अलग-अलग दावे करता है लेकिन सच पर सस्पेंस बरकरार है।

कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था। इतिहासकार पुरुषोत्त ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत मौजूद हैं।

क्या वाकई ताजमहल है शिव मंदिर तेजोमहालय या एक कब्रगाह?

-मुख्य गुम्बद के किरीट पर जो कलश है वह हिन्दू मंदिरों की तरह है। यह शिखर कलश शुरू में स्वर्ण का था और अब यह कांसे का बना है। आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। यह हिन्दू मंदिरों के शिखर पर भी पाया जाता है।

-इस कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो कि हिन्दू भगवान शिव का चिह्न है। इसका शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है। यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है।

-इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना‍ दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था।

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-दरअसल 1632 में हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू हुआ। 1649 में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्‍दू शैली का छोटे गुम्‍बद के आकार का मंडप है और अत्‍यंत भव्‍य प्रतीत होता है।

-ताजमहल के गुम्बद पर जो अष्टधातु का कलश खड़ा है वह त्रिशूल आकार का पूर्ण कुंभ है। उसके मध्य दंड के शिखर पर नारियल की आकृति बनी है। नारियल के तले दो झुके हुए आम के पत्ते और उसके नीचे कलश दर्शाया गया है। उस चंद्राकार के दो नोक और उनके बीचोबीच नारियल का शिखर मिलाकर त्रिशूल का आकार बना है। हिन्दू और बौद्ध मंदिरों पर ऐसे ही कलश बने होते हैं।

-ओक की पुस्तक के अनुसार ताजमहल के हिन्दू निर्माण का साक्ष्य देने वाला काले पत्थर पर उत्कीर्ण एक संस्कृत शिलालेख लखनऊ के वास्तु संग्रहालय में रखा हुआ है। यह सन् 1155 का है। उसमें राजा परमर्दिदेव के मंत्री सलक्षण द्वारा कहा गया है कि ‘स्फटिक जैसा शुभ्र इन्दुमौलीश्‍वर (शंकर) का मंदिर बनाया गया। (वह इ‍तना सुंदर था कि) उसमें निवास करने पर शिवजी को कैलाश लौटने की इच्छा ही नहीं रही। वह मंदिर आश्‍विन शुक्ल पंचमी, रविवार को बनकर तैयार हुआ।

-हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते हैं। ताज भी यमुना नदी के तट पर बना है, जो कि शिव मंदिर के लिए एक उपयुक्त स्थान है। शिव मंदिर में एक मंजिल के ऊपर एक और मंजिल में दो शिवलिंग स्थापित करने का हिन्दुओं में रिवाज था, जैसा कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और सोमनाथ मंदिर में देखा जा सकता है। ताजमहल में एक कब्र तहखाने में और एक कब्र उसके ऊपर की मंजिल के कक्ष में है तथा दोनों ही कब्रों को मुमताज का बताया जाता है।

-ताज के दक्षिण में एक प्राचीन पशुशाला है। वहां पर तेजोमहालय की पालतू गायों को बांधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गाय कोठा होना एक असंगत बात है।

-ताजमहल में चारों ओर चार एक समान प्रवेशद्वार हैं, जो कि हिन्दू भवन निर्माण का एक विलक्षण तरीका है जिसे कि चतुर्मुखी भवन कहा जाता है। ताजमहल में ध्वनि को गुंजाने वाला गुम्बद है। हिन्दू मंदिरों के लिए गूंज उत्पन्न करने वाले गुम्बजों का होना अनिवार्य है।

-ताजमहल के गुम्बज में सैकड़ों लोहे के छल्ले लगे हुए हैं जिस पर बहुत ही कम लोगों का ध्यान जा पाता है। इन छल्लों पर मिट्टी के आलोकित दीये रखे जाते थे जिससे कि संपूर्ण मंदिर आलोकमय हो जाता था।

ताजमहल मकबरा है या शिवालय इसका सही जबाव तभी मिल सकता है जब सरकार ताजमहल के बंद दरवाजों को इतिहासकार और रिसर्च्स के लिए खोले। देश विदेश के एक्सपर्ट्स और मार्डन साइंस के जरिए इस सवाल का जवाब ढूंढना ही सही तरीका है।

source : http://www.khabarindiatv.com/india/national-was-the-taj-mahal-originally-an-ancient-shiv-temple-tejo-mahalay-526528