नमस्ते मित्रों
कुछ लोग कहते है की यदि वास्तव में भारत का और सनातन वैदिक धर्म का कोई बड़ा शत्रु है तो वह है मुस्लिम ! नहीं !!! वास्तविक कट्टर शत्रु तो कम्युनिस्ट है !!!
जी हाँ !! कम्युनिस्ट कोई संगठन मात्र नहीं यह एक विचारधारा भी है और इस विचारधारा से ग्रसित लोग हमारे इर्दगिर्द भी है, जिन्हें पहचानना थोड़ा सा कठिन अवश्य है परन्तु नामुमकिन नहीं, बस जरूरत है थोड़ी सी सतर्कता की |
कम्युनिस्ट विचारधारा किस तरह की होती है इसे आसान शब्दों में यु समझिये आपके यहाँ एक नौकर काम करता है और कोई व्यक्ति उससे कहता है की तुम्हारा मालिक तुमसे ज्यादा कैसे कमा रहा है, तुम उसके यहाँ काम मत करों, उसके खिलाफ आवाज बुलंद करो और लोगों को साथ लेकर आन्दोलन शुरू करो, अगर तब भी तुम्हारा काम नहीं बनता है तो उसके खिलाफ हथियार उठा लो, अगर तुम्हारे पास हथियार के भी पैसे नहीं है तो में दूंगा, ऐसी सलाह देने वाले लोग कम्युनिस्ट होते है
आज ऐसे ही एक कम्युनिस्ट विचारधारा वाले व्यक्ति के बारे में आपको जानकारी देंगे
अग्निवेश (आर्य), उर्फ़ वेपा श्याम राव,
आर्य मात्र इसलिए लगाया है की लोग इसे इस नाम के साथ ही जानते है, अन्यथा इस व्यक्ति में आर्य जैसा कोई गुण नहीं है
कहते है यदि जल्द बुलंदियों पर पहुंचकर अपने आप को विख्यात करना हो तो किसी बड़े संगठन के साथ अपना नाम जोड़ लो
कुछ ऐसा ही अग्निवेश ने किया
आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम में जन्मे श्याम राव ने वकालात की पढाई पूरी कर क्रिस्चियन स्कुल में व्याख्याता के रूप में कुछ वर्ष कार्य किया (स्वाभाविक है एक तो देश के सेक्युलर संविधान का प्रभाव था ही फिर क्रिश्चिनीटी ने भी थोड़ा प्रभावित किया तो यह झोल कम्युनिस्ट बनाने में आग में घी का काम कर गया)
व्याख्याता के रूप में स्वयं को विख्यात ना होता देख राजनीति में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की मंशा से ये कलकता छोड़कर हरियाणा चले आये यहाँ आकर स्वामी इन्द्रवेश के साथ मिलकर “आर्य सभा” का निर्माण किया |
आर्य समाजी बन्धु उस समय इस व्यक्ति के सनातन धर्म के कार्यों से प्रभावित होकर इसके समर्थक बन गये और इसे नेता बनाने में जोश के साथ प्रचार करने लगे
अग्निवेश ने कहाँ था की यदि हरियाणा को आर्य राज्य (अर्थात राजनितिक गंदगी को साफ़ करना) न बना दिया तो अपने आप को जिन्दा जमीन में गड़वा देंगे
हरियाणा की राजनितिक गंदगी को तो साफ़ न कर पाए अपितु स्वयं राजनीति से साफ़ हो गये उसके बाद से जो इनके प्रचारक थे वे इन्हें “ज़िंदा लाश” कहकर भी सम्बोधित करते है आप भी कभी मिल जाए तो उपयोग में लेकर देख लीजियेगा
आर्य समाज और राजनीति से अपने आपको प्रसिद्ध करने के बाद जब इन्हें लगा की अब अपने पैर और पसारने चाहिए तो
कुछ सालों बाद यह माओवादियों और सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने लगा नाम तो शान्ति वार्ता का था परन्तु वास्तविकता यह थी की यह स्वयम कम्युनिस्ट विचारधारा से ग्रसित माओवादी संगठन से सांठगाँठ कर चुका था
जब माओवादियों नक्सलियों से इसके मिले होने के प्रमाण मिलने लगे तो इसकी छवि थोड़ी सी धूमिल होने लगी तो जिस प्रकार का यह मौकापरस्ती है ही इसने अपनी छवि को पुनः बनाने के उद्देश्य से “अन्ना हजारे” पर परजीवी बनने की ठान ली और “जन लोकपाल विधेयक” आन्दोलन की टीम से जुड़ गया
और इसने उस आन्दोलन को भी दो फाड़ कर दिया (जिसे दिल्ली वाले अभी तक भुगत रहे है) और तत्कालीन सरकार की चापलूसी करते हुए यह एक भेदिया बन गया
उसके बाद यह व्यक्ति अल्पसंख्यकों का वकील (शुभचिंतक) बना
मुस्लिम और ईसाईयों की सुरक्षा को लेकर सरकार के खिलाफ यह व्यक्ति आज भी कार्यरत है जिससे आर्य समाज कोई सरोकार नहीं रखता
निःसंदेह आर्य समाज हिन्दुओं के कुछ पाखंडों का विरोधी रहा है परन्तु शत्रु नही, यह स्वाभाविक है की हम कभी कभी कडवा सच सहन करने की क्षमता नहीं रखते है और सच कहने वाले को अपना शत्रु समझ बैठते है कुछ ऐसा ही कुछ हिन्दुओं का व्यवहार आर्य समाज के प्रति रहा हो परन्तु लोग यह जानते है की आर्य समाज सनातन वैदिक धर्म का सबसे बड़ा रक्षक है, आर्य समाज कभी भी मुसलमानों, ईसाईयों या किसी भी गैर सनातनी के तुष्टिकरण का कोई कार्य नहीं करता, आर्य समाज समाज में जागृति लाने का, लोगों को सनातन धर्म में पुनः लाने का प्रयास अवश्य करता है परन्तु कभी भी देशद्रोहियों का समर्थक नहीं रहा अपितु समय आने पर ऐसे देशद्रोहियों का सर्वनाश अवश्य करता है
अग्निवेश ने आजकल हिन्दुओं पर, देश पर और देश की संस्कृति पर प्रहार करना आरम्भ कर दिया है
हाल ही में राम मन्दिर पर कुछ विरोधाभासी टिप्पणियाँ भी की है
गौ रक्षा आन्दोलन पर भी प्रहार किया है
गौ भक्षकों का समर्थक बनकर वैदिक धर्म को हानि पहुंचा रहा है
छत्तीसगढ़ में हुए एनकाउंटर को लेकर भी अभी यह व्यक्ति सरकार का विरोधी बना हुआ है
इस व्यक्ति का दोगलापन देखिये जब नक्सली पुलिस को मारती है तो इसके मुह से आवाज नहीं निकलती परन्तु जब पुलिस नक्सलियों का सफाया करती है तो यह कहते है की इससे शांतिवार्ता विफल हो रही है सरकार गलत कर रही है
अग्निवेश मुस्लिमों के संगठन, आतंकवादियों से सम्पर्क को लेकर काफी विवादित रहा है (जिसके छाया चित्र इन्टरनेट पर मिल जाते है) और इसके बाद राम मन्दिर, वन्दे मातरम, गौ रक्षा, आदि बातों को लेकर विरोधाभासी ब्यान देकर इसने स्वयं के दुष्ट और देशद्रोही होने के भरपूर प्रमाण दे दिए है
आर्य समाज का इस व्यक्ति से अभी से नहीं अपितु काफी समय पहले से विवाद रहा है, आर्य समाज की एक सार्वदेशिक प्रतिनिधि सभा पर इसने कब्जा भी कर रखा है और अपने आप को आर्य समाज के वक्ता और मुखिया के रूप में प्रदर्शित करता रहा है
आर्य समाज इस व्यक्ति से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध नही रखता ना ही इससे जुड़े लोगों से,
आर्य समाज हमेशा अपने सिधान्तों को लेकर अडिग रहा है इसलिए किसी भी ऐसे व्यक्ति का आर्य समाज कभी समर्थक नही हो सकता जो देश को तोड़ने की गतिविधियों में संलिप्त हो !
यहाँ तक की हम तो वर्तमान सरकार से निवेदन करते है की इस व्यक्ति की जांच की जाए यह व्यक्ति हार्दिक पटेल, वृंदा करात जेसे कम्युनिस्टों के गुट का ही व्यक्ति है और इस पर पाबंदियां लगाई जाए
और हम सूचित करना चाहते है समस्त सनातनियों को की अग्निवेश किसी प्रकार से आर्य समाज से कोई सम्बन्ध नही रखता, यह हर कार्यक्रम में स्वामी दयानन्द जी की फोटो अपने साथ लगाकर स्वयं को समाज सुधारक के रूप में प्रदर्शित करता है परन्तु सच इससे बिलकुल विपरीत है, यह व्यक्ति इस देश को बांटने, सनातन धर्म को नष्ट करने, वर्तमान सरकार को बदनाम करने जैसे कार्यों में संलिप्त है
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा पर ये जबरदस्ती काबिज है और उसी के सम्बन्ध को लेकर यह स्वयं को आर्य समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रदर्शित करता है
जिसका आर्य समाज किसी प्रकार का कोई समर्थन नहीं रखता
अग्निवेश को लेकर आर्य समाज से वैर पालने से पूर्व किसी भी नजदीकी आर्य समाज से इसकी जानकारी प्राप्त अवश्य करे
धन्यवाद