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ये कैसा ईश्वरीय ज्ञान ! : शैतान खून की तरह शरीर में घूमता है

इस्लाम की मान्यता के अनुसार मुहम्मद साहब आखिरी पैगम्बर हैं . अल्लाह ने अपनी पहले भेजी हुयी सारी किताबें, जो पुरानी हो चुकी थीं और उनका ज्ञान भी पुराना हो गया था , निरस्त करके मुहम्मद साहब को भेजा और उन्हें अपनी  आख़िरी किताब कुरान देकर  से नवाजा.

इस्लामी मान्यता के अनुसार आसमान से कुरान की आयतें मुहम्मद साहब पर उतरा करती थीं जो ज्यादातर फरिश्तों द्वारा लाई जाती थीं . इसे वही उतरना कहा जाता है . मुहम्मद साहब, इस्लाम की मान्यतानुसार,   इस्लाम के अंतिम पैगम्बर अर्थात अल्लाह की रचाई गयी इस सृष्टी के अंतिम संदेशवाहक हैं .

उपर्युक्त कथन की दृष्टी से देखा जाये तो मुहम्मद साहब की एक  विद्वान, विचारक आदि गुणों से संपन्न व्यक्ति की छवि किसी के पटल पर उतरना स्वाभाविक है .लेकिन जब हम इस्लामी इतिहास का अध्ययन करते हैं तो वास्तविकता को इससे विपरीत ही पाते हैं :-

शैतान खून की तरह शरीर में घूमता है :

कृपया नीचे दी हुयी हदीस को पढ़िए जो सहीह बुखारी जिल्द ३   से ली गयी है :

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साफिया जो मुहम्मद साहब की पत्नी थीं ने अली बिन अल हुसैन को बताया कि मुहम्मद साहब इतिकाफ के वक्त अपनी बेगमों के साथ मस्जिद में थे . जब बेगम जाने लगीं  तो मुहम्मद साहब ने साफिया से कहा कि जल्दी मत करो में भी तुम्हारे साथ चलूँगा ( उस समय मुहम्मद साहब उसामा के साथ रह रहे थे ) मुहम्मद साहब बाहर  गए और तभी तो अंसारी व्यक्ति उन्हें मिले उन्होंने मुहम्मद साहब की ओर देखा और चले गए . मुहम्मद साहब ने उनसे कहा यहाँ आओ . वह साफिया बिन्त हयाई मेरी बेगम है . अंसारों ने जवाब दिया : “माशा अल्लाह “ ( हम बुरा  सोचने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं! ) हे अल्लाह के रसूल ! हम कभी आपसे बुराई की उम्मीद नहीं करते .

मुहम्मद साहब ने जवाब दिया “ शैतान इंसानों में ऐसे घूमता है जैसे की रक्त का प्रवाह व्यक्ति में होता है .और मुझे डर था कि कहीं ऐसा न हो कि  कहीं शैतान तुम्हारे विचारों में बुरे विचार घुसा सकता है  .

उपर्युक्त हदीस से यह विदित होता है कि इस्लाम के अंतिम पैगम्बर इस मान्यता के पोषक थे कि  व्यक्ति के शरीर में खून के साथ साथ शैतान का प्रभाव भी होता है जो कि व्यक्ति के मानसिक विचारों को बदलने की क्षमता रखता है .

 

शैतान नाक के उपरी भाग में रहता है :

अब इसी एक और हदीस पर नजर डालते हैं जो सहीह बुखारी जिल्द चार से है :

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अबू हुरैरा ने बताया की मुहम्मद साहब ने कहा की यदि आपमें से कोई जब निद्रा से जागता है और वजू करता है तो उसे उसे अपनी नाक में पानी डालकर इसे धोना चाहिए और पानी को बाहर निकाल देना चाहिए क्योंकि पूरी रात उसकी नाक के उपरी हिस्से में शैतान ने निवास किया है .

इसी हदीस को सहीह मुस्लिम ने भी कुछ शब्दों  के हेर फेर से लिखा है कि अबू हुरैरा ने बताया की मुहम्मद साहब ने कहा की आप आप निद्रा से जागो तो वजू करते समय अपनी नाक को तीन बार साफ करना चाहिए क्यूंकि पुरी रात शैतान उसके अन्दर निवास करता है .

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अब देखिये मस्लिम विद्वान् इन बातों पर कैसे लीपा पोती कर रहे हैं :

अब्दुल हामिद सिद्दकी साहब अपनी सहीह मुस्लिम की व्याख्या में शान वलीउल्लाह साहब की हज़ातुल्लाह अल बलिघ जिल्द १ का रिफरेन्स देके कहते यहीं कि  नाक में गन्दगी का होना मनुष्य के मष्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और उसे बुरे सपने आते हैं .

मौलवी साहब बड़ी ही चतुराई से शैतान के होने की सम्भावना को नकार गए और शैतान को गन्दगी से जोड़ दिया .

इसी प्रकार देखिये इस्लामिक विश्वविद्यालय मदीना अल मुनाव्वारा के डॉ मुहम्मद मुहसिन खान साहब साहील अल बुखारी की व्याख्या में कहते हैं कि हमें यह मानना चाहिए की शैतान वास्तव में व्यक्ति की नाक के उपरी भाग में रहता है हालांकि हम नहीं समझ सकते कि वह कैसे रहता है यह उस अदृश्य विश्व से सम्बन्ध रखता है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते हम केवल उतना ही जानते हैं जितना अल्लाह पैगम्बर के माध्यम से बताता है .

आपने इन हदीसों के ऊपर मुस्लिम विद्वानों की का संशय और संशय के निवारण में घुमा फिर के कही गयी बातें तो देख लीं. उपर्युक्त व्याख्याओं से यह तो सिद्ध हो जाता है कि मुस्लिम विद्वान भी इन हदीसों पर उठे हुए प्रश्नों पर उपापोह की स्तिथी में हैं . जन साधारण के मन में इन हदीसों को पढ़ के प्रश्न उठाना जायज़ ही है कि:

  • शैतान का अस्तिव्त क्या है ?
  • क्या शैतान अल्लाह से ज्यादा ताकतवर है जो अल्लाह के मनाने वालों को तंग करता रहता है ?
  • शैतान नाक के कौनसे हिस्से में और कहा रहता है
  • क्या शैतान सर्व्व्यापी है जो सभी के नाक में एक साथ उपस्थित हो जाता है ?
  • यह शैतान क्या केवल मुस्लिमों की नाक में रहता है या गैर मुस्लिमों की नाक में भी रहता है ?
  • यदि शैतान गदगी के रूप में है तो केवल नाक में ही क्यूँ है शरीर के बाकी हिस्स्सों में भी तो गन्दगी होती है ?
  • इस शैतान को अल्लाह ने पैदा ही क्यूँ किया ? तो न केवल अल्लाह की बनाये हुए इस संसार में इस कदर आतंक मचाता है ?
  • शैतान यदि खून में बहता है तो विज्ञानं उसे आज तक पहचान क्यूँ नहीं पाई ?
  • अल्लाह के मनाने वालों को शैतान का गुमराह करना अल्लाह की सर्वशक्तिमान जैसी विशेषताओं को खुली चुनौती है
  • जब अल्लाह के पैगम्बर यह जानने में सक्षम नहीं थे की अंसारी बंधुओं के दिमाग में शैतान ने प्रभाव किया या नहीं तो बाकी के लोग शैतान को कैसे जानने में सक्षम होंगे . और जैसे की मुल्सिम विद्वानों ने ऊपर हदीसों की व्याख्या में कहा है कि हम शैतान को नहीं जान सकते तो अल्लाह मियां ने ऐसी रचना की ही क्यूँ जिसको कि जिसको जाना ही न जा सके ? यह अल्लाह की श्रृष्टि में एक दोष पैदा करती है कि एक ऐसी कृति का निर्माण किया गया जो उसके बनाये गए लोगों के बीच में रहती उनके जीवन को प्रभावित करती है लेकिन वो लोग उसके बारे में जान ही नहीं सकते .

iciज्ञान के इस युग में इस तरह की हदीसों की शिक्षा न केवल मुस्लिम समाज के लिए हास्य का कारण  बनती हैं बल्कि इन मत पंथों के लोगों को भी अन्धविश्वासी बनाती है .

प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य व नैतिक दायित्व है की सत्य को ग्रहण करे और असत्य का त्याग करे . इसलिए मुसलमान विद्वानों को चाहिए की या तो इन हदीसों की विश्वशनीयता से विश्व को अवगत कराएं या फिर इन हदीसों का परित्याग करें क्यूंकि ये न केवल उपहास का कारण हैं अपितु मुसलमानों के मान्य मुहम्मद साहब के नाम को भी धूमिल करने का कारण हैं .

अब यह सुनिए मौसम किस तरह बदलते हैं : डॉ. गुलाम जिलानी बर्क ( دو اسلام )

हम और आप तो इतना ही जानते हैं और हकीकत भी यही है कि गर्मी में हम सूरज के करीब होते हैं और सर्दी में दूर . इसलिए गर्मी और सर्दी महसूस करते हैं .

गर्मी में जमीन के खाकी जर्रात गरम हो जाते हैं और चूँकि यह जर्रात पहाड़ों में  कम होते हैं इसलिए वहां मुकाबलतन ठंडक होती है . लेकिन हदीस कहती है :-

“अबू हुरैरा आ हजरत सल्ल्लम से रवायत करते हैं की एक मर्तबा जहन्नम ने खुदा के पास शिकायत की कि मेरा दम घुट जाता है इसलिए मुझे सांस लेने की इजाज़त दीजिये .

अल्लाह ने कहा कि तुम साल में सिर्फ दो सांस ले सकते हो . इसलिए जहन्नम की एक सांस से मौसम गरम और दूसरी में सरद पैदा हो गया .

लेकिन दुनिया की गरमी व सर्दी से जहन्नम की गर्मी व सर्दी बहुत ज्यादा है .”

(बुखारी जिल्द -२ )

 

लेकिन यह समझ में नहीं आया कि हर साल गर्मियों के मौसम में वही इलाके इस सांस की लपेट में क्यूँ आते हैं जो ख़त ए अस्तवा  ( भूमध्यरेखा ) के करीब  हैं . और सारा यूरोप सायबेरिया ग्रीन लैंड और कनाडा क्यूँ बच  जाते  हैं  .

और यह भी तो फरमाया होता कि गर्मियों में पहाड़ों पर क्यूँ गर्मी नहीं होते ? वहां तक इस सांस का असर क्यूँ नहीं  पहुंचता ?

और सर्दियों में  ख़त ए अस्तवा ( भूमध्यरेखा )का इलाका क्यूँ गरम रहता है ?

मालूम होता है कि जहन्नम ने जमीन  को दो हिस्सों में बाँट रखा है .

सर्दियों में वो अहले यूरोप की खबर लेता है और गर्मियों में हमारी.

सच है इन्साफ अच्छी चीज है

یہ  لیخ دو اسلام کتاب  سے لیا گیا ہے