अब यह सुनिए मौसम किस तरह बदलते हैं : डॉ. गुलाम जिलानी बर्क ( دو اسلام )

हम और आप तो इतना ही जानते हैं और हकीकत भी यही है कि गर्मी में हम सूरज के करीब होते हैं और सर्दी में दूर . इसलिए गर्मी और सर्दी महसूस करते हैं .

गर्मी में जमीन के खाकी जर्रात गरम हो जाते हैं और चूँकि यह जर्रात पहाड़ों में  कम होते हैं इसलिए वहां मुकाबलतन ठंडक होती है . लेकिन हदीस कहती है :-

“अबू हुरैरा आ हजरत सल्ल्लम से रवायत करते हैं की एक मर्तबा जहन्नम ने खुदा के पास शिकायत की कि मेरा दम घुट जाता है इसलिए मुझे सांस लेने की इजाज़त दीजिये .

अल्लाह ने कहा कि तुम साल में सिर्फ दो सांस ले सकते हो . इसलिए जहन्नम की एक सांस से मौसम गरम और दूसरी में सरद पैदा हो गया .

लेकिन दुनिया की गरमी व सर्दी से जहन्नम की गर्मी व सर्दी बहुत ज्यादा है .”

(बुखारी जिल्द -२ )

 

लेकिन यह समझ में नहीं आया कि हर साल गर्मियों के मौसम में वही इलाके इस सांस की लपेट में क्यूँ आते हैं जो ख़त ए अस्तवा  ( भूमध्यरेखा ) के करीब  हैं . और सारा यूरोप सायबेरिया ग्रीन लैंड और कनाडा क्यूँ बच  जाते  हैं  .

और यह भी तो फरमाया होता कि गर्मियों में पहाड़ों पर क्यूँ गर्मी नहीं होते ? वहां तक इस सांस का असर क्यूँ नहीं  पहुंचता ?

और सर्दियों में  ख़त ए अस्तवा ( भूमध्यरेखा )का इलाका क्यूँ गरम रहता है ?

मालूम होता है कि जहन्नम ने जमीन  को दो हिस्सों में बाँट रखा है .

सर्दियों में वो अहले यूरोप की खबर लेता है और गर्मियों में हमारी.

सच है इन्साफ अच्छी चीज है

یہ  لیخ دو اسلام کتاب  سے لیا گیا ہے

 

 

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