सर्वविध समानों से ऊपर महर्षि दयानन्द सरस्वती
– इन्द्रजित् देव
प्रतिवर्ष भारत सरकार कुछ विशिष्ट नागरिकों को उनकी प्रतिभाओं व राष्ट्र को उनकी देन के आधार पर नागरिक समान देती आ रही है। ये समान (उपाधियाँ) चार प्रकार के हैं- पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण व भारत रत्न। इस वर्ष भी ये नाम समान कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को प्रदान करने की घोषणा की गई है, इनमें से एक स्वामी दयानन्द सरस्वती भी है, जो पद्म भूषण के समान के अधिकारी समझे गए हैं।
मैं 26 जनवरी को यह समाचार पाकर आश्चर्य में पड़ गया। आर्य समाज के संस्थापक व आधुनिक युग के महान् वेदोद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती की याद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा पोषित भाजपा सरकार को कैसे आई? चाहे सरकार तो स्वामी विवेकानन्द से बड़ा किसी सार्वजनिक व्यक्ति को मानती ही नहीं। अस्तु। मैंने श्री प्रो. राजेन्द्र जिज्ञासु जी व अन्य कुछ विद्वानों से पूछताछ की तथा अपने स्तर पर भी खोज की तो पता चला कि उपरोक्त नागरिक समान आर्यसमाज के संस्थापक व वेदोद्धारक जगद्गुरु महर्षि दयानन्द सरस्वती को नहीं दिया गया, अपितु स्वामी दयानन्द सरस्वती को दिया है, जो प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के गुरु हैं तथा उत्तराखण्ड से सबद्ध रहे हैं। सभवतः स्वर्गीय हो चुके हैं।
यह जानकारी पाकर मुझे प्रसन्नता हुई है कि दो व्यक्ति एक ही नाम के हैं तथा महर्षि दयानन्द सरस्वती को उपरोक्त नागरिक समान देने की धृष्टता सरकार ने नहीं की। धृष्टता शद पाठकों को अटपटा प्रतीत होगा। मेरा निवेदन है कि महर्षि दयानन्द सरस्वती पद्म भूषण तो क्या भारतरत्न की उपाधि से भी कहीं उच्च समान से भी ऊँचे हैं। यदि कभी सरकार ने उन्हें भारत रत्न समान प्रदान करने की घोषणा कर दी तो आर्य समाज को इसे अस्वीकार कर देना चाहिए। महर्षि दयानन्द के कार्य, सिद्धान्त व विचार वेदाधारित हैं, जो सार्वदेशिक, सार्वकालिक, सार्वभौमिक तथा सर्वजनहिताय हैं। उपरोक्त चारों नागरिक समान आजतक जिनको दिए गए हैं, अपवाद छोड़कर अधिकतर सत्तासीन दलों व व्यक्तियों के हितों व निजी पसन्द के ही व्यक्ति थे।
महर्षि दयानन्द सरस्वती आप्त पुरुष थे, ऋषियों में महर्षि थे। जैसे चमकने वालों में सूर्य, शीतल पदार्थों में चन्द्रमा, हाथियों में ऐरावत, नीतिज्ञों में चाणक्य, योगेश्वरों में कृष्ण, योगियों में पतंजलि, वीरों में जामदग्न्य को माना जाता है, वैसे दयानन्द निराले थे। दयानन्दो दयानन्द इव अर्थात् दयानन्द दयानंद जैसे ही थे अनुपमेय। अनुपमेय दयानंद को बस भारत के किसी समान से न बांधना चाहिए।
– चूना भट्ठियाँ, सिटी सेन्टर के निकट, यमुनानगर, हरियाणा-135001