सबके गले में खुदा ने भाग्य पत्र बांध रखा है
जब खुदा लोगों को अपने कर्म करने में स्वतन्त्र नहीं रखता, खुद ही उनका भाग्य पैदा होते ही लिख देता है तो लोगों के कर्मों की जिम्मेदारी खुदा मियाँ की हो जावेगी। तब खुदा को किसी को भी दण्ड देने का हक कैसे होगा? यह साबित किया जावे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व कुल्-ल इन्सानि-न् अल्जम्नाहु………।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू २ आयत १३)
और हमने हर आदमी का भाग्य किताब के रूप में उसकी गर्दन में लटका दिया है और कयामत के दिन हम उसके कारनामों का लेखा-जोखा निकाल कर उसके सामने पेश करेंगे।
समीक्षा
खुदा जब पैदा करते समय ही हर एक के गले में उसका भाग्य लिख कर बाँध देता है तो इसका अर्थ यह है कि खुदा जैसा चाहता है लिख देता है वैसा ही कर्म मनुष्य करता है।
तब मनुष्य की अपने कर्मों के लिए जवाब देही समाप्त हो जाती है और खुदा की जवाब देही बन जाती है।