रोजा रखना जरूरी है
दिन में न खाना और रात में खना इस रिवाज को स्वास्थ्य विज्ञान के आधार पर सही साबित करें।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
या अय्युहल्लजी-न आमनू कुति-ब…….।।
(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २३ आयत १८३)
ईमान वालों। जिस तरह तुमसे पहले किताब वालों पर रोजा रखना फर्ज (कत्र्तव्य) था। तुम पर भी फर्ज किया गया, ताकि तुम पापों से बचो।
समीक्षा
रोजा रखने की आज्ञा तौरेत, जबूर और इन्जील नाम की किसी भी पुरानी किताब में नहीं दी गई, यदि कोई मुसलमान मौलवी दिखा सके तो इनाम मिलेगा। इसके अलावा रोजो में दिन भर न खाना और रात में खाना स्वास्थ्य विज्ञान की दृष्टि से भी गलत है। भोजन सूर्य के प्रकाश में या दिन छिपने से पूर्व कर लेना चिकित्सा की दृष्टि से भी उचित रहता है। कुरान का रोजा रखने का तरीका अवैज्ञानिक है। अरबी खुदा का यह आदेश पुरानी पुस्तकों के भी विपरीत है (जिन पर कुरान आधारित है) तथा हानिकारक भी है।