Tag Archives: rojaa me sambhog karza jayaz kiya gaya

कुरान समीक्षा : रोजों में सम्भोग करना जायज किया गया

रोजों में सम्भोग करना जायज किया गया

खुदा ने राजों में औरतों से विषय भोग करने पर पहले पाबन्दी क्यों लगाई थी जो उसे बाद में तोड़नी पड़ी? क्या इससे खुदा की अज्ञानता प्रकट नहीं होती है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

उहिल-ल लकुम् लैल- तस्सियामिर्र…….।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २३ आयत १८७)

(मुसलमानों) रोजो की रातों में अपनी बीबियों के पास जाना तुम्हारे लिये जायज कर दिया गया है, वह तुम्हारी पोशाक हैं और तुम उनकी पोशाक हो। बस! अब उनके साथ रोजों की रातों में भी हमबिस्तर हो सकते हो। अर्थात् सम्भोग कर सकते हो।

समीक्षा

इस पर सही बुखारी भाग १ सफा ३०१ हदीस ९११ में निम्न प्रकार वर्णन आता है-

वरायः जी अल्ला अन्स से रवायत है, कहा मुहम्मद सललाहु वलैहिअस्लम के सहाबों में से जब कोई रोजेदार होता और इफ्तार के वक्त सौ जाता बिना इफ्तार किये तो वह तमाम दिन नहीं खा सकता था, यहां तक कि शाम हो, एक वक्त कैसे बिन बिन सरमह अन्सारी रोजा से थे तो जब इफ्तार का वक्त आया तो अपनी बीबी के पास आये और उससे कहा-तेरे पास कुछ खाना है? उसने कहा नहीं, लेकिन मैं जाती हूँ तलाश करूंगी तुम्हारे लिये कुछ मिल जाये। और वे दिन भर मजदूरी करते थे इसलिए उनकी आँखें उन पर गालिब आई और सो गये। जब उनके पास उनकी बीबी आई तो कहने लगे बड़े खसारा में पड़ गया।

जब दूसरे रोज दोपहर का वक्त हुआ तो उन पर गशी तारी हो गई। उसका जिक्र रसूले खुदा सल्लाहु वलैहिअस्लम से किया गया तो यह आयत नाजिल हुई कि ‘‘तुम्हारे लिये रोजों की रात में अपनी ओर से हमबिस्तरी हलाल है।’’उस वक्त लोग इस आयत के हुक्त से बहुत-बहुत खुश हुए और यह भी नाजिल हो गया कि ‘‘खाओ और पियो जब कि सफेद धागा स्याह धागा से जुदा हो’’ यानी रात बीते तक।

इस हदीस से साफ हो गया कि अमर रोजाअफतारी के वक्त कुछ खाने को न मिल सके रोजेदार अपनी औरत से हमबिस्तरी करके रोजा अफतारी कर सकता है यह आसान व मजेदार नुस्खा खुदा ने बता दिया। इसमें खाने का झंझट भी साफ हो गया। कुछ खाने को न मिले तो भी हमबिस्तरी कर लेने से काम चल जावेगा।