पुरानी बातों को ही कुरान में दोहराया गया है
जबकि पहली किताबों अर्थात् तौरेत, जबूर और इन्जील में दी गई पुरानी बातों को ही कुरान में खुदा ने नकल किया है तो कुरान की कोई इज्जत नहीं रह गई, न उसकी जरूरत पुरानी किताबों के मौजूदा रहते बाकी रह जाती है। तब कुरान क्यों उतारा गया यह बतावे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
मा युकालु ल-इल्ला मा कद्…………।।
(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ५ आयत ४३)
(ऐ पैगम्बर) तुझसे वही बातें कही जाती है जो तुझसे पहले पैगम्बरों से कही जा चुकी हैं। बेशक तेरा परवर्दिगार क्षमा करने वाला और उसकी सजा दुखदाई है।
समीक्षा
जब कुरान सिर्फ पहले पैग्म्बरों को बताई हुई व उनकी किताबों में लिखी हुई बातों की ही नकल है तो फिर कुरान की विशेषता ही क्या रह जाती है ? नकल से असल किताबें हमेशा ज्यादा महत्व की साबित होती हैं। कुरान की शान इस आयत से कम हो जाती है।