महिलाओं का खतना बन्द हो .. सुप्रीम कोर्ट में गुहार
जो किसी ने सुना भी नहीं होगा , उसे देखना पड़ रहा है लोगों को अब उनकी आंखों के आगे . और जो देख रहे हैं वो सोचते हैं कि उन्होंने इसे झेला कैसे रहा होगा .. 3 तलाक को कुप्रथा और क्रूरता की संज्ञा देने वालों को ये नहीं पता कि वो तो एक बानगी मात्र भर है .. एक समाज औरतों का भी खतना करता है और खास कर उस समय मे जब उनका बाल्यकाल चल रहा होता है .. सुप्रीम कोर्ट में सुनीता तिवारी नाम की एक समाज सेविका ने याचिका दाखिल करते हुए मुस्लिमों की दाऊदी वोहरा समुदाय में 5 वर्ष से रजस्वला होने के मध्य की बच्चियों के साथ होने वाली इस प्रथा को बेहद अमानवीय और मानवता के विरुद्ध बताते हुए इसे कुप्रथा मान कर तत्काल बन्द करने की मांग की .. याचिका की गम्भीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल भारत सरकार , महाराष्ट्र सरकार , दिल्ली सरकार , गुजरात सरकार और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मुद्दे पर जवाब मांगा . याचिकाकर्ती ने इस मुद्दे पर भारत संविधान की धारा 14 व धारा 21 के साथ नीति निर्देशक तत्व 39 का भी हवाला देते हुए बताया कि यह महिलाओ को समानता के अधिकार से वंचित करता है . अपने तथ्यों के समर्थन में श्रीमती सुनीता ने लिखित दिया कि संयुक्त राष्ट्र संघ में मुस्लिम औरतों के खतना को विश्व भर में बंद करने के प्रस्ताव पर खुद भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं , ऐसे में इस कुप्रथा का भारत मे ही चलना किसी भी प्रकार से तर्कसंगत नहीं है ..
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए तत्काल 4 राज्यों और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया .. इन सरकारों के उत्तर आने के बाद इसकी अगली सुनवाई की जाएगी .. पर ये प्रथा अधिकांश जनता के लिये बिल्कुल पहली बार सुनने जैसा है जिस के बाद काफी लोग आश्चर्यचकित हैं .