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नमाज पढना नाजायज है : डॉ. गुलाम जिलानी बर्क , पाकिस्तान

कहते हैं की पेशानी तोल जिस्म का सोलहवाँ हिस्सा होती है . इन्सान का कद औसतन ४६ इंच होता है  और इसकी पेशानी चार इंच बाकी हैवानत  में भी तकरीबन यही  पाई जाती है .

महरीन  सालासाल तहकीकात व तलाश के बाद ये यह  ऐलान किया है कि जमीन का महीत ५२ हजार मील है यानी अगर हम ५२ हजार मील लम्बा धागा तैयार कर के जमीन के और गरु    लपेट दें तो वह बिलकुल पूरा आ जायेगा . सूरज जमीन से १२ लाख अस्सी हजार गुना बड़ा है और इसका महीत बत्तीस अरब पचास करोड़ मील है .

 

इब्ने अम्र हजूर से रिवायत करते हैं  कि  “सूरज निकलते और डूबते वकत नमाज नहीं पढ़ा करो इसलिए कि सूरज बवक्त  शैतान के दो सींगों में होता है “

बुखारी जिल्द २ १४४

सूरज की मोटाई साढ़े बत्तीस  अरब मील है . अगर इतनी बड़ी चीज शैतान दो सींगों में समा जाती है और हम अरज कर चुके हैं पेशानी तोल जिस्म का सोलहवाँ हिस्सा होती है . तो शैतान के जिस्म की लम्बाई पांच ख़रब बीस अरब मील होनी चाहिए और चौड़ाई भी इसी नस्बत से इतना बड़ा शैतान खड़ा कहाँ होता होगा ? जमीन से सूरज नौ करोड़ पैंतीस लाख मील दूर है और शैतान की लम्बाई सवा पांच ख़रब मील.  अगर शैतान को जमीन पर खड़ा किया जाए तो सूरज इसके टखनों से भी नीचे रह जाता है . इसे शैतान के सींगों तक पहुँचने का क्या इंतजाम  किया जाता है और इतना बड़ा शैतान जमीन में समाता कैसे है.

यह साबित हो चूका है कि जमीन तकरीबन गोल है जमीन के किसी न किसी हिस्से पर हर वकत सूरज  तलुह होता रहता है यानी औकात मसल्सल  महोसफ़र रहते हैं कलकत्ता की सुबह चन्द लम्हों के बाद बनारस पहुँचती है फिर दिल्ली फिर वही लाहोर फिर पेशावर फिर काबुल.. जिसका मतलब यह हुआ कि सूरज हर वकत शैतान के सींगों के दरमयान रहता है

चोंकिये इसी हालत में नमाज नाजायज है इसलिए मुसलमानों को नमाज बिलकुल तरक कर देनी चाहिए.

 

 

डॉ. गुलाम जिलानी बर्क , पाकिस्तान