मुश्रिक अर्थात् मूर्तिपूजक खुदा की मर्जी से बने थे
जब खुदा मर्जी से ही मुश्रिक बने थे तो उनको कत्ल कराने के हुक्म कुरान पारा १० सूरे तोबा रूकू १ आयत ५ में कुरान के अन्दर अरबी ‘‘जालिम खुदा’’ ने क्यों दिये हैं? बतावें कि इस खुदा का दिमाक सही था या नहीं?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लो शा- अल्लाह मा अश्रकू………………।।
(कुरापन मजीद पारा ८ सूरा अन्आम रूकू १३ आयत १०७)
अगर खुदा चाहता तो वे शरीक ने ठहराते और हमने तुमको इस पर निगाहवान नहीं किया और न तुम इन पर वकील हो।
समीक्षा
जब लोग खुदा के बनाने या उसकी मर्जी से ही मुश्रिक बने थे तो फिर उनको पारा १० सूरते तोबा आयत ५ में कुरान के अन्दर काफिर और कत्ल करने योग्य अरबी खुदा ने क्यों बताया है? ये कुरानी खुदा भी क्या अजीब खुदा था लोगों को गुमराह भी करता था और फिर उन्होने कत्ल भी करता था ।