खुदा को कर्ज दो बदले में दूना मिलेगा
कुरान पारा ६ सूरे मायदा रूकू २ आयत १२ में खुदा को कर्ज देने से गुनाह माफ का कुरान ने वायदा किया था और यहां खुदा कर्ज लेने पर उसे दूना, मयसूद के वापस देने का वायदा करता है। बतावें कि सूद देना व लेना इस्लाम में गुनाह कैसे हो सकता है।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
मन् जल्लजी युक्रिजुल्ला-ह कर्…………।।
(कुरान मजीद पारा २७ सूरा हदीद रूकू २ आयत ११)
ऐसा कौन है जो अल्लाह को खुश दिली से उधार दे फिर वह उसके लिए दूना कर दे और उसके लिए इज्जत का फल जन्नत है।
समीक्षा
उधार के लिए कर्ज देना मुनासिब होगा। आश्चर्य है कि खुदा को भी कर्ज मांगना पड़ा है और पाप माफ करने का लालच देना पड़ा है।