कयामत का फैसला हजार साल में होगा
फैसले के लिये हजार साल क्यों लगेंगे? खुदा के द्वारा ‘कुन’ कहकर फैसला पलभर में क्यों नहीं कर दिया जावेगा ताकि खुदा का वक्त बरबाद न हो? देखिये कुरान में कहा गया है कि-
युदब्बिरूल्-अम्-र मिलस्समाइ………..।।
(कुरान मजीद पारा २१ सूरा सज्दा रूकू १ आयत ५)
फिर तुम लोगों की गिनती के अनुसार हजार वर्ष की मुद्दत का एक दिन होगा। उस दिन तमाम इन्जाम उसके सामने गुजरेगा।
समीक्षा
खुदा की कचहरी एक साल तक लगी रहेगी और लोगों के वकील खुदा के मुबाहिसा अर्थात् वाद-विवाद करते रहा करेंगी। खुदा यदि सर्वशक्तिमान (कादिरे मुतलक) होता तो फैसला जल्दी भी कर सकता था
उसे हर आदमी का अलग-अलग कर्मों का हिसाब किताब देखना पड़ेगा, किताबें देखनी पड़ेगी, वकीलों की बहस सुननी पड़ेंगी तब कहीं जन्नत व दोजख में उन्हे भेज कर छुट्टी मिलेगी। हमारे यहां के मजिस्ट्रेट और अरबी खुदा में कोई ज्यादा अन्तर नहीं है।