कर्मों के अनुसार उनके दर्जें होंगे
जन्नत व दोजख में तो एकसा बर्ताव सभी से होगा, फिर ये दर्जे कहां से होंगे? कहीं इसका संकेत पुनर्जनम से तो नहीं है? कुरान में तो दर्जों का हाल नहीं है।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लिकुल्लिन् द-र-जातुम् मिम्मा……….।।
(कुरान मजीद पारा ८ सूरा अन्आम रूकू १६ आयत १३२)
और जैसे-जैसे कर्म किये हैं उन्हीं के बमूजिब सबके दर्जे होंगे और जो कुछ ये कर रहें हैं तुम्हारा परवर्दिगार उससे बे खबर नहीं है।
समीक्षा
सारे कुरान के कयामत, जन्नत व दोजख में इनाम-आराम व सजा एक ही तरह से मिलने का वर्णन है, दर्जो का कोई जिक्र नहीं है अतः यह आयत गलत है व धोखा देने को लिखी गई है। कहीं यह नहीं लिखा है कि किसी को हूरें, गिलमें (लोंडे) और शराबें कम या ज्यादा अथवा गौरी या काली हुरें दर्जो के हिसाब से मिलेंगी। लिखा हो तो दिखया जावे।