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जीवन की रुलाती घड़ियों में

जीवन की रुलाती घड़ियों में
जीवन की रुलाती घड़ियों में, मिलता है तुम्हारा प्यार मुझे।
कुछ चाह ना बाकी रहती है, प्रभु आके तेरे दरबार मुझे।।
मेरे दिल के गगन पे आके कभी.. जब गम की घटा छा जाती है।
एक पल में कहीं से दया तेरी.. तब बन के हवा आ जाती है।
तुझे रक्षक सबका कहने में, फिर क्यों हो भला इंकार मुझे।।
जीवन की रुलाती घड़ियों में मिलता है तुम्हारा प्यार मुझे…..
प्रभु दर पे तेरे आने वाला.. झोली अपनी भर लेता है।
तेरे दर से प्रभु मैं क्या मांगू.. बिन मांगे तू सब कुछ देता है।
जो तेरी इच्छा है दाता, हर पल है वही स्वीकार मुझे।।
जीवन की रुलाती घड़ियों में, मिलता है तुम्हारा प्यार मुझे…..
जब तक मैं ‘पथिक’ दुनिया में रहूँ.. बस एक यही मेरा काम रहे।
मेरे दिल में प्रभु तेरी याद रहे.. होठों पे प्रभु तेरा नाम रहे।
रहे प्यार तुम्हारे चरणों में, चाहे जन्म मिले सौ बार मुझे।।
जीवन की रुलाती घड़ियों में, मिलता है तुम्हारा प्यार मुझे…….
कुछ चाह ना बाकी रहती है, प्रभु आके तेरे दरबार मुझे……
जीवन की रुलाती घड़ियों में, मिलता है तुम्हारा प्यार मुझे……