जन्नत में बालखाने मिलेंगे
जन्नत में कई मंजिलें मकानता पत्थर, लकड़ी, सीमेट या कच्ची ईंटों के बने हुए हैं या फूंस के छप्परों जैसे हैं? क्या वहां सभी लोगों के लिये अलग-अलग कमरें अलाट (नियत्त) होंगे? उनमें क्या-क्या आरामदायक साधन होंगे? क्या वहां भी रंगीन टी.वी., फ्रिज तथा ए.सी. आदि मिलेंगे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
उलाइ-क युज्जौनल्-गुर-फ-त……….।।
(कुरान मजीद पारा १९ सूरा फुर्कान रूकू ६ आयत ७५)
यही लोग हैं जिनको उनके सब्र के बदले में (रहने को) ‘‘बालाखाने’’अर्थात् ऊंचे-ऊंचे महल मिलेंगे और दुआ और सलाम के साथ वहाँ उनकी अगावानी की जायेगी।
समीक्षा
जहाँ बालायें (औरतें) रहती हैं वे बालाखाने और जहाँ गुसल करते हैं वह गुसलखाने तथा ट्टटी करते हैं- वह पखाने, एंव मयखाने, जिमखाने, मुर्खीखाने, कबूतरखाने, कारखाने, रण्ड़ीखाने आदि-आदि। जन्नत में ऊपर की मन्जिलों में हूरें होंगी वहीं मियां लोग रखे जावेंगे शायद नीचे की मन्जिलों में गिलमें (लोंडे) रहते होंगे।
अरबी मुसलमानों को मूर्ख बनाने के लिये जन्नत (बहिश्त) की यह रसीली कल्पना कुरान बनाने वालों ने पेश की थी। वरना ज्यादा औरतों व लोडों से ऐश करना कोई बड़ाप्पन की बात नहीं है। भाइयां अगर सच पूछा जायें तो हमारे हिसाब से तो ये सब चण्डूखाने की गप्प के अलावा और कुछ भी नहीं है।