इस्लाम की सीधी राह
खुदा की ख्वाहिश है कि दुनियाँ के सभी लोग इस्लाम से बिल्कुल दूर रहे इसीलिए लोग इसे नहीं चाहते। आर्य समाज इस्लामी सिद्धान्तों का जो खण्डन करता है तथा हम जो कुछ उस पर लिखते हैं यह भी तो सब उसी खुदा की मर्जी से ही लिखते हैं। बदकिस्मत हैं वे लोग जो इस्लाम में फंसे हुए हैं।
दुनियां की साढ़े तीन अरब की आबादी इस्लाम से दूर रह कर प्रसन्न है जबकि अरब के इलामी देशों को लड़ा कर खुदा यहूदियों से तबाह करा रहा है। मुसलमान उल्मा (विद्वान) सावधान रहें क्योंकि खुदा गुमराहों की ही तबाही चाहता है, शरीफों की नहीं, उनको तो तरक्की देता है इसलिए ज्यादा लोगों को तरक्की दे रहा है।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व हाजा सिरातु रब्बि-क मुस्तकीमत्……………।।
(कुरान मजीद पारा ८ सूरा अनआम रूकू १५ आयत १२४)
जिसको खुदा सीधी राह दिखाना चाहता है उसके दिल को इस्लाम के लिए खोल देता है और जिसको भटकाना चाहता है उसके दिल को तंग कर देता है।
समीक्षा
जो खुदा इतना अन्यायी लोगों को बिना वजह गुमराह करता रहता हो भला वह सीधी राह कैसे हो सकती है? इसलिए उसके प्यारे मजहब इस्लाम से जो दूर रहता है वही भाग्यशाली है। हम तो इस्लाम में फंसने वालों को बद किस्मद ही समझते हैं। पहले यहूदी मजहब सीधी राह था अब इस्लाम हो गया? खुदा रोजाना नई राह बदलता रहता है। आगे कोई और सीधी राह होगी।