अप्राकृतिक व्यभिचार और हजरत लूत की बेटियाँ
गुन्डों का सामना करने के बजाय अपनी बेटियाँ व्यभिचार को पेश करना, उस जमाने के लोगों में इगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी का जारी होना, इन गन्दी बातों को कुरान में लिखवा कर खुदा ने लोगों को कौन सी नसीहत दी है? क्या खुदा यह सिखाना चाहता था कि ऐसे मौके पर दूसरे लोग अपनी निर्दोष बेटियाँ गुन्डों को दे दिया करें और उनका मुकाबिला न किया करें? आखिर यह गन्दी कथा कुरान में क्यों दी गई?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लम्मा जा-अत् रूसुलुना लूतन्………..।।
(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७७)
और जब हमारे फरिश्ते लूत के पास आये उनका आना उनको बुरा लगा और उनके आने की वजह से तंग दिल हुए और कहने लगे यह तो बड़ी मुसीबत का दिन है।
व जा-अहू कौमुहू युह्रअू-न इलैहि………….।।
(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७८)
लूत जाति के लोग दौडे-दौड़े लूत के पास आये और यह लोग पहले से ही बुरे काम किया करते थे। लूत कहने लगे भाईयों! यह मेरी बेटियां हैं यह तुम्हारे लिये ज्यादा पवित्र हैं। तो खुदा से डरो और मेरे मेहमानों में मेरी बदनामी न करो। क्या तुम में कोई भला आदमी नहीं ?
कालू ल-कद् अलिम्-त मा लना………..।।
(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७९)
समीक्षा
अरब में अप्राकृतिक व्यभिचार बहुत प्रचलित था, यह इससे प्रगट है कि लोग खुले आम स्त्रियों को पसन्द न करके सुन्दर लड़कों को ही चाहते थे।
पैगम्बर लूत का अपनी बेटियों के गुन्ड़ों के लिए पेश करना और उनका लड़कियों के बजाय सुन्दर लड़कों को मांगना इसका सबूत है। खुदाई किताब कुरान में इस प्रकार की गन्दी बातों का उल्लेख होना खुदा के लिये शोभा की बात है या बदनामी की? यह हर कोई समझ सकता हैं। अरबी खुदा भी कैसा था जो ऐसी भद्दी बातों को भी उसमें लिखना नहीं भूला। खुदा भी सुन्दर लड़के अर्थात् गिलमें जन्नत में पेश करेगा।