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हदीस : भेंट-उपहार

भेंट-उपहार

कोई भी चीज जो भेंट या दान में दे दी जाय, वापस नहीं ली जानी चाहिए। उमर ने अल्लाह के रास्ते पर (यानी जिहाद के लिए) एक घोड़ा दान में दे दिया था। उसने देखा कि उसका घोड़ा दान पाने वाले के हाथों पड़ कर क्षीण हो रहा है, क्योंकि वह व्यक्ति बहुत गरीब था। उमर ने उसे वापस खरीदने का विचार किया। मुहम्मद ने उससे कहा कि ”उसे अब वापस मत खरीदो ….. क्योंकि वह जो दान को वापस लेता है, उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उलटी निगलता है“ (3950)।

author : ram swarup

 

HADEES : THE �GOD WILLING� CLAUSE

THE �GOD WILLING� CLAUSE

If one includes the proviso �God willing� (InshA AllAh) when taking an oath, the vow must be fulfilled.  SulaimAn (Solomon) had sixty wives.  One day he said, �I will certainly have intercourse with them during the night and everyone will give birth to a male child who will all be horsemen and fight in the cause of Allah.  � But only one of them became pregnant, and she gave birth to a premature child.  �But if he had said InshA� Allah he would have not failed,� observes Muhammad.  In other ahAdIs about the same story, the number of wives increases from sixty to seventy and then to ninety (4066-4070).

author : ram swarup

हदीस : विरासत, भेंट-उपहार, और वसीयतें

विरासत, भेंट-उपहार, और वसीयतें

अगली तीन किताबें हैं ”विरासत की किताब (अल-फराइज), भेंट-उपहार की किताब (अल-हिबात), और वसीयत की किताब (अल-वसीय्या)।“ कई पक्षों में वे परस्पर सम्बद्ध हैं। उनसे निःसृत कानून जटिल हैं और हम यहां उनका उल्लेख-भर करेंगे।

author : ram swarup

हदीस : रिबा

रिबा

मुहम्मद ने रिबा भी हराम ठहराया, जिसमें सूदखोरी और ब्याज लेना दोनों शामिल हैं। उन्होंने ”ब्याज लेने वाले और देने वाले और उसे दर्ज करने वाले और दोनों (ओर के) गवाहों पर लानत भेजी“ और कहा “वे सब बराबर हैं“ (3881)।

 

यद्यपि मुहम्मद ने ब्याज लेना मना किया, तथापि उन्होंने अबू बकर को मदीना के कैनुका कबीले के पास इस पैगाम के साथ भेजा कि ”अल्लाह को अच्छे सूद पर कर्ज दो।“ वे कुरान (5/12) के उन शब्दों को दोहरा रहे थे जिनमें ”अल्लाह को समुचित कर्ज़ दो“ कहा गया है। यहूदियों ने देने से इन्कार किया तो उनके भाग्य का निबटारा हो गया।

author : ram swarup

HADEES : VOWS AND OATHS

VOWS AND OATHS

The twelfth and thirteenth books, on vows (al-nazar) and oaths (al-aiman), respectively, can be treated together.  Muhammad discourages taking vows, for a vow �neither hastens anything nor defers anything� (4020).  Allah has no need of a man�s vows.  A man once took a vow to walk on foot to the Ka�ba, but Muhammad said that �Allah is indifferent to his inflicting upon himself chastisement,� and �commanded him to ride� (4029).

Muhammad also forbids believers to swear by LAt or �UzzA or by their fathers.  �Do not swear by idols, nor by your father,� says Muhammad (4043).  But he allows you to swear by God, something which Jesus forbade.  �He who has to take an oath, he must take it by Allah or keep quiet,� Muhammad says (4038).

author : ram swarup

हदीस : अदला-बदली अमान्य

अदला-बदली अमान्य

कुछ मामलों में पैग़म्बर आधुनिक आदमी थे। उन्होंने अदला-बदली की प्रथा का निषेध किया और उसकी जगह मुद्रा-विनिमय का पक्ष लिया। ख़ैबर में राजस्व की वसूली करने वाला एक बार मुहम्मद के लिए कुछ बढ़िया खजूर लाया। मुहम्मद ने उनसे पूछा कि क्या ख़ैबर के सब खजूर इतने उम्दा क़िस्म के हैं ? अफ़्सर बोला-“नहीं, हमने दो सा (घटिया खजूर) के एवज में एक सा (बढ़िया खजूर) लिये।“ मुहम्मद ने इसे नामंजूर करते हुए जवाब दिया-“ऐसा मत करो। बेहतर है कि घटिया किस्म के खजूर को दरहमों (नगदी) में बेच दो और तब बढ़िया किस्म को दरहमों के जरिये खरीद लो“ (3870)।

author : ram swarup

HADEES : MUHAMMAD�S LAST WILL

MUHAMMAD�S LAST WILL

On a certain Thursday when his illness took a serious turn, Muhammad said: �I make a will about three things: Turn out the polytheists from the territory of Arabia; show hospitality to the foreign delegations as I used to do.� The third the narrator forgot (4014).

Muhammad also wanted to write a will in his last moments.  �Come, I may write for you a document; you would not go astray after that,� he said, asking for writing materials.  But �Umar, who was present, said that the people already had the QurAn.  �The Book of Allah is sufficient for us,� he asserted, and thus it was unnecessary to tax Muhammad in his critical state.  When those who were gathered around his bed then began to argue among themselves, Muhammad told them to �get up and go away� (4016).

�Umar might have been moved by genuine concern for the dying man, but the supporters of �AlI later claimed that Muhammad in his last will had wanted to appoint �AlI as his successor, and that �Umar, in league with AbU Bakr, had prevented him from doing so by a dirty trick.

author : ram swarup

हदीस : अनुचित कमाई

अनुचित कमाई

मुहम्मद ने ”कुत्तों की कीमत लेना, वेश्या की कमाई खाना और काहीन (सगुनिया) को दी गयी मिठाइयाँ स्वीकार करना भी हराम ठहराया है“ (3803)। उन्होंने कहा कि ”सबसे बुरी कमाई है वेश्या की कमाई, कुत्ते की कीमत और सींगी लगाने वाले की कमाई“ (3805)।

 

मुहम्मद को कुत्ते सख़्त नापसन्द थे। उन्होंने कहा-”इस काले स्याह (कुत्ते) को जिसके दो धब्बे (आंखों पर) है, मारना तुम्हारा फ़र्ज है। क्योंकि यह एक शैतान है“ (3813)। उमर का बेटा अब्दुल्ला हमें बतलाता है कि पैग़म्बर ने ”कुत्तों को मारने का हुक्म दिया और उन्होंने मदीना के कोने-कोने में लोगों को भेजा कि वे (कुत्ते) मारे जाएं …… और हमने ऐसा कोई कुत्ता नहीं छोड़ा जिसे मार न डाला गया हो“ (3810-3811)। बाद में फरियाद सुन कर, उन्होंने शिकारी कुत्तों और पशुओं के झुंड की रखवाली करने वाले कुत्तों को बख़्श दिया। इन कुत्तों के अलावा अगर कोई कुत्ता रखता था तो वह “अपने इनाम (परलोक में मिलने वाले पुण्यकाल) का दो किरात (एक माप का नाम) हर रोज़ खो देता था“ (3823)।

 

मुहम्मद ने शराब, मुर्दे, सूअर और बुतों का बेचना भी हराम ठहराया। ”अल्ला जो उच्च है और महामहिम है, यहूदियों को बर्बाद करे। अल्लाह ने जब उन्हें मुर्दे की चर्बी का इस्तेमाल मना किया (देखिए लेवाइटीकस, 3/17) तो उन्होंने उसे पिघलाया और तब बेचा और उसकी क़ीमत काम में ली“ (3830)।

author : ram swarup

 

हदीस : एक जमींदार के रूप में पैग़म्बर

एक जमींदार के रूप में पैग़म्बर

अनेक अहादीस (3758-3763) दिखलाती हैं कि मुहम्मद लेन-देन के मामलों में तेज-तर्रार थे। उमर का बेटा अब्दुल्ला बतलाता है कि ”जब खैबर जीता गया, तो वह अल्लाह के अधीन, उसके पैग़म्बर और मुसलमानों के अधीन हो गया“ (3763)। मुहम्मद ने ख़ैबर के यहूदियों के साथ एक क़रार किया। वे अपने खजूर के पेड़ और अपनी जमीन इस शर्त पर अपने पास रख सकते थे  कि वे उन पर अपने सम्बल (बीज और उपकरण) से काम करें और उपज का आधा अल्लाह के पैग़म्बर को दे दें (3762)। इस आधे में से ”अल्लाह के रसूल को पंचमांश मिला“ और बाकी “बांट दिया गया“ (3761)। इस माने में वह सामान्य दस्तूर ही दिखाई देता है जिसके अनुसार खजाने पर जिनका नियन्त्रण हो वे, अल्लाह के नाम पर या राज्य के नाम पर या गरीबों के नाम पर, सबसे पहले उस खजाने को अपने ऊपर खर्च करना पसन्द करते हैं।

 

इस उपार्जनों के द्वारा मुहम्मद इतने समर्थ हो गये कि वे अपनी बीवियों में से हरेक को प्रति वर्ष सौ वस्क देने लगे-80 वस्क खजूर और 20 वस्क़ जो (एक वस्क बराबर लगभग 425 अंग्रेजी पौंड)। जब उमर खलीफा बने तब उन्होंने जमीनें बांटी और रसूल-अल्लाह की बीवियों को यह छूट दी कि वे चाहे तो जमीनें ले लें या सालाना वस्क़। बीवियों की प्रतिक्रिया इस प्रस्ताव के प्रति अलग-अलग रही। पैगम्बर की दो बीवियों, आयशा और हफ़्जा ने ”जमीन और पानी“ चुने (3759)।

author : ram swarup

 

HADEES : DEBTS

DEBTS

Muhammad was scrupulous about the debts of the deceased.  That was the first charge on the property of a deceased person after the funeral expenses.  In cases where the property was not sufficient to meet the debt obligations, money was raised through contributions.  But when Muhammad became rich through conquest, he himself met these charges.  �When Allah opened the gateways of victory for him, he said: �I am nearer to the believers than themselves, so if anyone dies leaving a debt, its payment is my responsibility, and if anyone leaves a property it goes to his heirs� � (3944).

author :  ram swarup