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कुरान समीक्षा : गुनाह करने के लिए खुदा की ढील

गुनाह करने के लिए खुदा की ढील

जब खुदा लोगों को इसलिए ढील देता है कि वक गुनाह खूब करें तो असली गुनहागार अथवा लोगों के गुनाहों में प्रमुख साझीदार खुदा हुआ या नहीं यदी खुदा लोगों को गुनाह करते ही रोक देवे तो लोग बुराई से बच सकेंगे। क्योंकि इस्लाम यह मानने को तैयार नहीं है कि लोग कर्म करने में स्वतन्त्र हैं और फल भोगने में परमात्मा के आधीन हैं लोगों को अपनी मर्जी के अनुसार कर्म करने से रोकना खुदा की ताकत से बाहर है क्योंकि इससे उनकी स्वतन्त्रता नष्ट होगी और कर्मों की उनकी जिम्मेदारी नहीं रहेगी?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व ला यह्स- बन्नल्लजी-न क…….।।

(कुरान मजीद पारा ३ सूरा आले इम्रान रूकू १८ आयत १७८)

जो लोग इन्कार कर हैं, वो इस ख्याल में न रहें कि हम जो उनको ढील दे रहे हैं ताकि और गुनाह समेट लें और इनको जिल्लत की मार है।

समीक्षा

अरबी खुदा की नीयत बद अर्थात् बुरी भी, वह मनुष्यों का भला नहीं चाहता था। यदि भला चाहने वाला होता तो लोगों को पाप करने की ढील न देता।

मगर खुदा गर्व से कहता है कि-

‘‘हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा बुरे काम करने के लिए ढील देते हैं अर्थात खुदा चाहता है कि लोग पाप कर्म करते रहें।’’

क्या ऐसा आदमी खुदा हो सकता है? जो अपनी अपनी प्रजा का बुरा चाहने वाला हो?