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गौ हत्या अभिशाप देश का

गौ हत्या अभिशाप देश का

रचयिता राम आर्य ‘‘व्यथित’’

गौ की हत्या करने वाला मानवता का दुश्मन है।

सुख शांति का विध्वंसक है, हत्यारा पापी जन है।

कोई मत हो या मनुष्य हो या सरकार देश की हो।

कोई राज्य प्रजा कोई भी या सत्ता प्रदेश की हो।।

गौ वध को प्रोत्साहन देता और समर्थन करता जो।

गौ वध को करवाने वाला धूर्त्त देश का दुश्मन है।।१।।

इस मनुष्य का अंग न कोई काम किसी के आता है।

गौ माता का सारा जीवन परमारथ में जाता है।।

जीते जी वह दुग्ध पिलाती जो अमृत सम होता है।

मरणोपरांत चाम दे जाती मानव तन को अर्पण है।।२।।

उसका दूध एक औषध है हर आयु का पोषक है।

मेधा बुद्धि प्रदाता है शक्ति पाता आराधक है।।

गौ हत्या अभिशाप देश का उन्नति में अवरोधक है।

गौ न केवल पशु साधारण धरती का अमूल्य धन है।।

गो मूत्र अनेकों रोगों में उपयोगी होता है।

बूढ़े बच्चे जीवन पाते मनुज निरोगी होता है।।

उसका गोबर मूत्र खेत फसलों को जीवन देता है।

रोगरहित अन्न उपजाता कृषक जगत का जीवन है।।

गोबर और गौमूत्र पूर्णतः कृमिनाशक होता है।

मिट्टी की उर्वरा शक्ति में परम सहायक होता है।

आज चले जो खाद रसायन मिट्टी को विष देते हैं।

अन्न विषैला बनता जाता धीमा विष है, यह धुन है।।

उसका दूध, दही, घी बनकर परम पोष्टिक होता है।

उसका ही यह पंचगव्य जीवन उपयोगी होता है

उसका गोबर मूत्र न दूषित घर को शोधक होता है।

रोगों का क्षय होता है, धरती को पूर्ण समर्पण है।।

किन्तु आज बूचड़खानों का जाल देश में फैला है।

गौ मांस निर्यात कराते यह तो धंधा मैला है।।

गौ धन की बर्बादी यह षडयंत्र घिनौनी हरकत है।

जिससे मिले बर्बादी मुद्रा यह दुष्कृत्य पापी धन है।।

अपनी जननी पहली माता दूजी धरती माता है।

और तीसरी इस धरती की केवल यह गौ माता है।।

इसकी रक्षा करनी होगी देश धर्म का नाता है।

भारत माता तुम्हें पुकारे यह मेरा आवाहन है।।

– १८६, आर्य निकुंज, शिक्षक कॉलोनी, विदिशा, म.प्र.। ८९६२११८९०८