दोजख का ईन्धन आदमी व पत्थर है
आग जिसके सहारे जलती है उसे ईन्धन कहते हैं। दोजख की आग इन्सान को जलावेगी वह ईन्धन नहीं हुआ। पत्थर से मतलब क्या पत्थर के कोयले से है या पहाड़ी पत्थरों से है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
फइल्लम् तफ्अलू व लन्……..।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ३ आयत २४)
बस ! (दोजख की) आग से डरो जिसके ईंधन आदमी और पत्थर होंगे और वह इन्कार करने वालों अर्थात काफिरों के लिए तैयार की गई है।
समीक्षा
कुरान के अनुसार काफिर दोजख में झोंके जावेंगे ताकि उनको उनके गुनाहों के लिये सजा दी जा सके और वे दुःखी व परेशान हों। इसीलिये उनको दोजख का ईन्धन लिखा है किन्तु पत्थर को भी इन्सान की ही तरह दोजख का ईन्धन लिखना यह बताता है कि उनको भी सजा दी जावेगी पर यह नहीं खोला गया कि पत्थर को उनके किन गुनाहों की सजा दी जावेगी ? क्या अरबी खुदा की निगाह में बेजान पत्थर भी काफिर होते हैं?