चिड़ियों ने फौज को मार डाला
यह आयतें हास्यास्पद क्यों न मानी जावें? क्या उस वक्त के आदमी चीटी, मच्छर और मक्खी जैसे होते थे जो ४-६ रत्ती की कंकड़ियों से ही मर जाते थे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
अ-लम् त-र कै-फ फ-अ-ल रब्बु……….।।
(कुरान मजीद पारा ३० सूरा फील रूकू १ आयत १)
(ऐ पैगम्बर) क्या तूने नहीं देखा कि तेरे परवर्दिगार ने हाथी वालों के साथ कैसा बर्ताव किया?
अ-लम् यज्-अल् कैदहुम् फी तज्ली………।।
(कुरान मजीद पारा ३० सूरा फील रूकू १ आयत २)
क्या उनका दाव गलत नहीं किया?
व अ्रस-ल अलैहिम् तैरन् अबाबील………।।
(कुरान मजीद पारा ३० सूरा फील रूकू १ आयत ३)
और उन पर झुण्ड के झुण्ड पक्षी भेजे।
तर्मीहिम् बिहिजा-रतिम्-मिन् सिज्जी…………।।
(कुरान मजीद पारा ३० सूरा फील रूकू १ आयत ४)
जो उन पर कंकड़ की पथरियां फेंकते थे।
फ-ज-अ-क-अस्फिम-मअ्……….।।
(कुरान मजीद पारा ३० सूरा फील रूकू १ आयत ५)
यहां तक कि उनको खाये हुए भूसे की तरह कर दिया।
समीक्षा
क्या यह सम्भव है कि चिड़ियों (अवावीलों) द्वारा चार-चार रत्ती की कंकड़ियाँ फेंकने से फौज और हाथी पिट-पिट कर मर कर भूसा बन गये हों?
एक चादर सर पर डाल लेने से भी तो किसी का कुछ न बिगड़ सकता था। क्या उस वक्त के आदमी मक्खी या चींटी जैसे होते थे?