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बेजान अर्थात् मुर्दा इन्सान में जान (रूह) डाली

बेजान अर्थात् मुर्दा इन्सान में जान (रूह) डाली

मनुष्य बेजान कब होता है गर्भ के अन्दर या गर्भ से बाहर आने पर भी बेजान मानना चाहिये। कुरान की इस आयत का क्या आशय है? उसका खुलासा करें।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

कै-फ तक्फरू-न बिल्लाहि व……….।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर स्कू ३ आयत २८)

हे लोगो! क्योंकर तुम खुदा का इन्कार कर सकते हो और तुम बेजान थे, तो उसने जान डाली, फिर (वही) तुमको मारता है (वही) तुमको जिलायेगा फिर उसकी तरफ लौटाये जाओगे।

समीक्षा

देखिये चिकित्सा विज्ञान यह बताता है कि वीर्य कीट तथा रजडिम्ब चेतन अर्थात् जीवित होते हैं और उनके मिलने से जो गर्भ ठहरता है वह प्रारम्भ से अन्त तक सदैव सजीव रहता है। यदि वीर्य कीट जीवित न हो तो गर्भ ठहर ही नहीं सकता है। ऐसी दशा में कुरान का यह लिखना कि- ‘‘मनुष्य शरीर प्रारम्भ में बेजान होता है और पूरा शरीर बनने पर खुदा उसमें जान डालकर उसे जानदार बनाता है,’’ खुदा के दावे को प्रत्यक्ष एवं विज्ञान के विरूद्ध सिद्ध करता है।

शरीर जब भी बेजान हो जावेगा तभी वह सड़ जावेगा फिर उसमें जान डाली ही नहीं जा सकती।

अतः कुरान की यह बात ठीक नहीं है कि-

‘‘प्रारम्भ में मनुष्य बेजान होता है और खुदा उसमें जान डाल कर उसे जिन्दा करता है।’’