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कुरान समीक्षा: औरतों पर खुदाई जुल्म

औरतों पर खुदाई जुल्म

जो खुदा अपनी ही प्रजा (स्त्रियों) पर जुल्म ढाने, उनसे व्यभिचार करने, बलात्कार करने का हुक्म दे तो क्या वह जालिम व दुष्ट नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू कुति-ब………।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २२ आयत १७८)

ऐ ईमान वालों! जो लोग मारे जावें, उनमें तुमको (जान के) बदले जान का हुक्म दिया जाता है। आजाद के बदले आजाद और गुलाम के बदले गुलाम, औरत के बदले औरत।

समीक्षा

इसमें हमारा ऐतराज इस अंश पर है कि ‘‘औरत के बदलने औरत’’ पर जुल्म किया जावे। यदि कोई बदमाश किसी की ओरत पर जुल्म कर डाले तो उस बदमाश को दण्ड देना मुनासिब होगा किन्तु उसकी निर्दोष औरत पर जुल्म ढाना यह तो सरासर बेइन्साफी की बात होगी। ऐसी गलत आज्ञा देना अरबी खुदा को जालिम साबित करता है, न्यायी नहीं।

वल्मुह्सनातु मिनन्निसा-इ इल्ल मा………।।

(कुरान मजीद पारा ५ सूरा निसा रूकू ४ आयत २४)

ऐसी औरतें जिनका खाविन्द जिन्दा है उनको लेना भी हराम है मगर जो कैद होकर तुम्हारे हाथ लगी हों उनके लिये तुमको खुदा का हुक्म है….. फिर जिन औरतों से तुमने मजा उठाया हो तो उनसे जो ठहराया उनके हवाले करो। ठहराये पीछे आपस में राजी होकर जो और ठहरालो तो तुम पर इस में कुछ उज्र नहीं। अल्लाह जानकर हिकमत वाला है।

समीक्षा

निर्दोष औरतों को लूट में पकड़ लाना और उनसे व्यभिचार करने की खुली छूट कुरानी खुदा ने दे दी है, क्या यह अरबी खुदा का स्त्री जाति पर घोर अत्याचार नहीं है? क्या वह व्यभिचार का प्रचारक नहीं था। फीस तय करके औरतों से व्यभिचार करने तथा फीस जो ठहरा ली हो उसे देने की आज्ञा देना क्या खुदाई हुक्म हो सकता है? अरबी खुदा और कुरान जो औरतों पर जुल्म करने का प्रचारक है क्या समझदार लोगों को मान्य हो सकता है?