आर्य समाज क्या है?
जहाँ सत्य सदा सर्वोपरि है,
वेदों में निष्ठा गहरी है,
आर्य समाज सदैव से ही,
धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
(1)
संस्थापक जिसके दयानन्द थे
गुणी शिष्य गुरु विरजानन्द के
गुरु ऋण को चुकाने की खातिर
तजे जिसने सभी सुख आनन्द थे
गूंजी एक बार न शांत हुई, ओ3म् नाम की जो स्वर लहरी है,
आर्य समाज सदैव से ही, धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
(2)
जहाँ पत्थर के भगवान् नहीं
पूजे जाते इन्सान वहीं
जहाँ तर्क रहित धाराणाओं को
मिल सकता कोई स्थान नहीं
जहाँ सफलता तक पहुँचने की, निर्धारित राह इकहरी है,
आर्य समाज सदैव से ही, धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
(3)
जातिगत जहाँ कोई भेद नहीं
वंचित पढ़ने से वेद नहीं
समान गुणी के गुणों का जहाँ
हो अल्प गुणी तो खेद नहीं
सब साथ चलें और साथ बढ़ें, भावना सुखदायी सुनहरी है,
आर्य समाज सदैव से ही, धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
(4)
भारत माता जब जकड़ी थी
दासता की दृढ़ जंजीरों से
खाई थी कसम आजादी की
बिस्मिल व भगत आर्यवीरों ने
लेखराम श्रद्धानन्द लाजपत के, बलिदानों की छाप अति गहरी है
आर्य समाज सदैव से ही, धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
(5)
जहाँ यज्ञ हवन और संध्या के
संस्कार बच्चों को मिलते हैं
आशीष से वृद्धों गुरुजनों की
सदा द्वार सफलता के खुलते हैं
बरसों की पुरानी इमारत ये, दस नियमों की नींव पे ठहरी है
आर्य समाज सदैव से ही, धर्म राष्ट्र का सच्चा प्रहरी है।
– अशोक प्रभाकर, जी-16, महेशनगर, अबाला छावनी