जीवन में उन्नति का मार्गदर्शन RV8.86 Social progress
(Subodh1934@gmail.com)
ऋषि:-कृष्ण आङ्गिरस:- इति: कृष्ण:= जिस ने षडरिपुओं- काम, क्रोध,लोभ,मोह, मद, मत्सर, पर विजय पाली वही
कृष्ण है. वही आंगिरस- अंग अंग से शक्ति सम्पन्न है. विश्वको वा कार्ष्णि: । कृष्ण शत्रुओं को उखाड़ने वाला है. कृष्ण की संतान कार्ष्णि है अर्थात शत्रुओं( षडरिपुओं का) अत्यन्त कर्षक-नष्ट करने वाला. विश्वक -अर्थात विश्व का हितैषी विशाल हृदय वाला
अश्विनौ । जगती ।
ध्रुव पंक्ति – ता वां विश्वको हवते तनूकृथे मा नो वि यौष्टं सख्या मुमोचतम् = विश्व के सब प्राणी अपने भौतिक सुख और सुरक्षा की आकांक्षा रखते हैं ,इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
Refrain line-Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.
Education and Skill Development
1.उभा हि दस्रा भिषजा मयोभुवोभा दक्षस्य वचसो बभूवथु: ।
ता वां विश्वको हवते तनूकृथे मा नो वि यौष्टं सख्या मुमोचतम् ।। RV8.86.1
Friendly manners and spreading the empowerment of life skills for smart actions are like two medicines that cure the hardships in life to make living a happy experience. Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.
सब से प्रेम भाव रख कर सब को जीवन यापन में कला कौशल की निपुणता शिक्षा – ज्ञान से समर्थ बनाना दो ऐसी ओषधि हैं जो समाज को सुखमय बनाते हैं. विश्व के सब प्राणी अपने भौतिक सुख और सुरक्षा की आकांक्षा रखते हैं ,इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
Skill Knowledge Enhancement
2.कथा नूना वां विमना उप स्तवद्युवं धियं ददथुर्वस्यइष्टये ।
ता वां विश्वको हवते तनूकृथे मा नो वि यौष्टं सख्या मुमोचतम् ।। RV 8.86.2
An uneducated/ uncultured , unskilled ignorant person cannot appreciate that only the twins of cooperation and livelihood skills provide means to fulfil all his sustainable needs / aspirations for a comfortable lifestyle . Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.
जीवन में सुख सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए उत्तम बुद्धि और कार्यकुशलता के साधन के महत्व को अज्ञानी मूढ़ मति नहीं जानता. विश्व के सब प्राणी अपने भौतिक सुख और सुरक्षा की आकांक्षा रखते हैं ,इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
Sharing with all
3.युवं हि ष्मा पुरुभुजेममेधतुं विष्णाप्वे ददथुर्वस्य इष्टये ।
ता वां विश्वको हवते तनूकृथे मा नो वि यौष्टं सख्या मुमोचतम् ।।RV 8.86.3
For welfare of community, to spread happiness in life, you have been blessed to nurture wisdom and as your responsibility towards and for development of community to share your wisdom and means with all. Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.
जीवन में समृद्धि और सुख के जो साधन और सामर्थ्य प्राप्त होते हैं वे विश्व यज्ञ के निमित्त हैं ( अपने सुख साधनों शक्ति का निस्वार्थ समर्पण करो ) विश्व के सब प्राणी अपने भौतिक सुख और सुरक्षा की आकांक्षा रखते हैं, इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
NGO Work
4.उत त्यं वीरं धनसां ऋजीषिणं दूरे चित् सन्तं अवसे हवामहे ।
यस्य स्वादिष्ठा सुमति: पितुर्यथा मा नो वि यौष्टं सख्या मुमोचतम् ।। RV8.86.4
Noble successful entrepreneurs should dedicate themselves to public welfare activities on large scales. Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.
सन्त वृत्ति के समृद्ध धनवान पराक्रमी जन दूर दूर तक उत्तम ज्ञान और समाज सुधार के प्रसार में योगदान करें .
विश्व के सब प्राणी अपने भौतिक सुख और सुरक्षा की आकांक्षा रखते हैं, इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
Truth & Transparency – सत्य और पारदृश्यता
5.ऋतेन देव: सविता शमायत ऋतस्य शृंगमुर्विया वि पप्रथे ।
ऋतं सासाह महि चित् पृतन्यतो मा नो वि युष्टं सख्या मुमोचतम् ।। RV8.86.5
सत्य ज्ञान से ,अज्ञान के अंधकार को सूर्य की तरह नष्ट करने से ही सब ओर सुख शांति स्थापित होती है . सत्य ( पारदर्शिता ) ही बड़े बड़े शत्रुओं को पराजित करती है.
इस लिए हम प्राणी मात्र से सखा भाव से कभी पृथक न हों. ( हम सब के दु:ख को अनुभव करें और सुख की वृद्धि में सहायक हों )
Truth and knowledge destroy darkness of ignorance and transparency defeats the strongest enemies.
Entire creation is endowed with spirit for self preservation. Develop positive friendly attitudes as your habit in life to ensure all-round happiness.