Vedic Agenda for good governance

bhishma
Vedic Agenda for Good Governance
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(प्रो. विश्वनाथ विद्यालंकार अथर्ववेद भाष्य आधारित)
1. Mass Communication, housing and security of life.
1.आ नूनमश्विना युवं वत्सस्य गन्तमवसे |
प्रास्मै यच्छतमवृकं पृथु च्छर्दिर्युयुतं या अरातयः || ऋ8.9.1 अथर्व 20.139.1
हे नगराधिपति तथा सेनपति तुम दोनो राष्ट्र में बसे प्रजाजनों की रक्षा के लिए अवश्य प्रजाजनों में आया जाया करो.इस प्रजाजन के लिये निवास योग्य गृहों की व्यवस्था करो,जो गृह बड़े बड़े हों, चोर डाकू आक्रमण न कर सकें. और जो राष्ट्र के शत्रु हैं, उन्हें राष्ट्र से दूर कर दो.
Keep in close contact with public, ensure adequate and secure housing for every person, and provide protection from destructive elements.

2. Environmental Sustainability

2.यदन्तरिक्षे यद दिवि यत पञ्च मानुषाँ अनु |
नृम्णं तद धत्तमश्विना || ऋ8.9.2 अथर्व 20.139.2

जो आकाशीय शुद्ध वायु और वर्षा जल; जो द्युलोकीय सौर ऊर्जा और प्रकाश,और जो पृथ्वी पर फैली (वनस्पति- जीवजन्तु) सम्पत्ति है उस को हमारे राष्ट्र में स्थापित करो.

Protect the clean air , develop rain water conservation, Maximize utilization of Solar energy, protect soil, green cover and biodiversity.

3. Enhance Public wisdom

3.ये वां दंसांस्यश्विना विप्रासः परिमामृशु: |
एवेत काण्वस्य बोधतम्‌ || ऋ8.9.3 अथर्व 20.139.3

जो मेधावी मंत्री गण/ बुद्धिजीवी परामर्शदाता राज्ञ कर्तव्य कर्मों के बारे में परामर्श देते रहते हैं उन को प्रजाजनों को अवगत करा कर शासन करो.

Follow the advice of intellectual think tanks, share these strategies with public and act accordingly in governance.

4. Gross National Happiness-Intellect driven governance.

4.अयं वां घर्मो अश्विना स्तोमेन परि षिच्यते |
अयं सोमो मधुमान वाजिनीवसू येन वृत्रं चिकेतथः ||ऋ8.9.4 अथर्व 20.139.4

सदुपदेशामृत द्वारा राष्ट्र यज्ञ मेधावियों से सींचा जाता है.जिस से अन्न, बल, सम्पत्ति देने वाली पृथ्वी मधुर रस,जल, दूध द्वारा दुर्भिक्ष जैसे ओग से राष्ट्र की रक्षा करते हैं.

By energetically pursuing wise policies, nature gifts with health and life positive nutrition disease preventing harmony, water, food and milk to ward off miseries of deprivation.

5. Commercial Growth

5.यदप्सु यद वनस्पतौ यदोषधीषु पुरुदंससा कृतम |
तेन माविष्टमश्विना || ऋ8.9.5 अथर्व 20.139.5

Give impetus to commerce by Technologies involving water ways, irrigation, shipping etc. Agri. -Horticultural production, post harvesting, and medicinal preparations.

नानाविध जलोंसे सम्बंधित कृतियां- सिंचायी, नौका, जहाज़ों , वनस्पति, फलों के उत्पादन और संग्रह , नाना विध औषधियों के निर्माण को राष्ट्र में स्थापित करो

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