सबके गले में खुदा ने भाग्य पत्र बांध रखा है
जब खुदा लोगों को अपने कर्म करने में स्वतन्त्र नहीं रखता, खुद ही उनका भाग्य पैदा होते ही लिख देता है तो लोगों के कर्मों की जिम्मेदारी खुदा मियाँ की हो जावेगी। तब खुदा को किसी को भी दण्ड देने का हक कैसे होगा? यह साबित किया जावे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व कुल्-ल इन्सानि-न् अल्जम्नाहु………।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू २ आयत १३)
और हमने हर आदमी का भाग्य किताब के रूप में उसकी गर्दन में लटका दिया है और कयामत के दिन हम उसके कारनामों का लेखा-जोखा निकाल कर उसके सामने पेश करेंगे।
समीक्षा
खुदा जब पैदा करते समय ही हर एक के गले में उसका भाग्य लिख कर बाँध देता है तो इसका अर्थ यह है कि खुदा जैसा चाहता है लिख देता है वैसा ही कर्म मनुष्य करता है।
तब मनुष्य की अपने कर्मों के लिए जवाब देही समाप्त हो जाती है और खुदा की जवाब देही बन जाती है।
Amit jee,
Agar islam punar-janam mein nahi manta to bhagya kaha se aa gaya. Agar punar-jaman nahi hota to sab ameer hone chahiye, koi bhi gareeb nahi hona chahiye. Is ke bawajud bhi muslim log isko sach mante hai to unhe sweekar karna chahiye ki khuda paksh-patee hai.
– Dhanyawad
wahi to bol raha hu quran kaa allah pakshpaati hai ji…
Ek baat aaj tak meri samaj mein nahee aayee. Kya dharmik log itne andhe ho jaate hai ki vo sahi-galat ka vichar bhi nahi kar sakte.
Koi Draupadi ki sadee lambi hone ko sahi manta hai koi chand ke 2 tukdo ko sahi manta hai, sab chamatkaro par vishwas karte hai. Aisa raha to vo din door nahi jab log karma par vishwas karna chhod denge aur “Hare Ram Hare Krishna” blote sadhu ban jayenge.
जी आजकल सभी अंधे हो गए हैं | कोई तर्क से बात नहीं करते | उन्हें बोलोगे की देखो मैं भगवान् हु तो मान लेते हैं जैसे अभी का उदाहरन ही देखो सत्य साईं को बहुत लोग भगवान् मान लिया जिसका मौत २ ३ साल के आस पास में हुयी थी | ब्रह्मकुमारी बाबा को मानते हैं | बहुत रजनीश को भगवान् मानते हैं इत्यादि इत्यादि …..