मनुमत से अनभिज्ञ पाठकों को यह जानकर सुखद आश्चर्य होना चाहिये कि मनु ही सबसे पहले वह संविधान-निर्माता हैं जिन्होंने पुत्र-पुत्री की समानता को घोषित करके उसे वैधानिक रूप दिया है-
‘‘यथैवात्मा तथा पुत्रः पुत्रेण दुहिता समा’’ (मनु0 9.130)
अर्थात्-‘‘पुत्री, पुत्र के समान होती है क्योंकि वह भी पुत्र के समान आत्मारूप है। इस प्रकार पुत्र और पुत्री में कोई भेद नहीं है। अतः उसके साथ कोई भेदभाव भी नहीं किया जाना चाहिए।’’