मांसाहार ही रोगोत्पत्ति का कारण लेखक – स्वामी ओमानंदजी सरस्वती मांस में यूरिक एसिड नाम का एक विष सबसे अधिक मात्रा में होता है, इसको सभी डाक्टर मानते हैं । मांसाहारी का शरीर उस अधिक विष को भीतर से बाहर निकालने में असमर्थ होता है, इसलिये मनुष्य के शरीर में वह विष (यूरिक एसिड) इकट्ठा होता रहता है । क्योंकि शाकाहारी मनुष्यों की अपेक्षा वह यूरिक एसिड मांसाहारी के शरीर में तीन गुणा अधिक उत्पन्न होता है । यह इकट्ठा हुआ विष अनेक प्रकार के भयंकर रोगों को उत्पन्न करने वाला बनता है । मानचैस्टर के मैडिकल कालिज के प्रोफेसर हॉल ने अनुभव करके निम्नलिखित तालिका भिन्न-भिन्न पदार्थों में यूरिक एसिड के विषय में बनाई है । नाना प्रकार के … Continue reading मांसाहार ही रोगोत्पत्ति का कारण→
मनुष्य का आहार क्या है ? सत्त्व, रज और तम की साम्यावस्था का नाम प्रकृति है । भोजन की भी तीन श्रेणियां हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने रुचि वा प्रवृत्ति के अनुसार भोजन करता है । श्रीकृष्ण जी महाराज ने गीता में कहा है – आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रियः सभी मनुष्य अपनी प्रवृत्ति के अनुसार तीन प्रकार के भोजन को प्रिय मानकर भक्षण करते हैं । अर्थात् सात्त्विक वृत्ति के लोग सात्त्विक भोजन को श्रेष्ठ समझते हैं । राजसिक वृत्ति वालों को रजोगुणी भोजन रुचिकर होता है । और तमोगुणी व्यक्ति तामस भोजन की ओर भागते हैं । किन्तु सर्वश्रेष्ठ भोजन सात्त्विक भोजन होता है । सात्त्विक भोजन आयुः – सत्त्व – बलारोग्य – सुख – प्रीति – विवर्धनाः । … Continue reading मनुष्य का आहार क्या है→
भारत की बेटी जननी नाम से पवित्र, दूसरा कौनसा है नाम | माँ नाम से निर्मल, कौनसा है दूसरा है नाम || आज की किशोरी ही भविष्य की आधारशिला है | संतान उत्पत्ति की अर्थात श्रेष्ट संतान उत्पत्ति की और राष्ट्र गौरव की, क्यों की जब कोई युवती स्वयं निर्णय लेने लग जाती है अर्थात यह आयु १६ से १८ की होती है और इसी आयु में वह निर्णय लेनी की क्षमता प्राप्त करती है | यही से उसके भावी संतान का भविष्य शुरू हो जाता है | यही संतान उत्पत्ति का विज्ञान है | इतिहास इस बात का साक्षी है – शिवाजी,श्री कृष्ण, श्री राम, प्रलहाद , रावण, पांडव, आदि की | ऐसी हजारो बेटियों ने राष्ट्र रक्षक, राष्ट्र निर्माण, … Continue reading भारत की बेटी→
*** अँग्रेजी भाषा के बारे में भ्रम *** आज के मैकाले मानसों द्वारा अँग्रेजी के पक्ष में तर्क और उसकी सच्चाई : 1. अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है:: दुनिया में इस समय 204 देश हैं और मात्र 12 देशों में अँग्रेजी बोली, पढ़ी और समझी जाती है। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। … Continue reading अँग्रेजी भाषा के बारे में भ्रम→
वेदों में गौ की सुरक्षा Vedas AV12.4 AV Sukta12.4 अथर्व वेद 12-4 सूक्त -वशा गौ ,ऋषि- कश्यप: 4.1.0.1 AV 12.4.1 अथर्व 12-4-1 On Donating a cow गौ दान किस को ददामीत्येव ब्रूयादनु चैनामभुत्सत। वशां ब्रह्मभ्यो याचद्भ्यस्तत्प्रजावदपत्यवत् || अथर्व 12.4.1 Cows should be given in keeping of learned persons (veterinarians) who have noble temperaments. गौओं को ब्राह्मण वृत्ति के पशु पालन वैज्ञानिकों के ही दायित्व में देना चाहिए । 4.1.0.2 AV 12-4-2 Curse of a sick Cow दुःखी गौ का श्राप प्रजया स वि क्रीणीते पशुभिश्चोप दस्यति। य आर्षेयेभ्यो याचभ्दयो देवानां गां न दित्सति ।। अथर्व 12-4-2 Those who do not give cows in the keeping of such virtuous persons to bring about improvements in the cows, merely trade and do no service for society. They suffer from curse of unhappy cows. जो … Continue reading वेदों में गौ की सुरक्षा→
मुसलमानों का ईमान एक झूठ अक्सर मुसलमान यह बात कहते हैं ,कि हम तो अपने ईमान के पक्के हैं .क्योंकि मुसलमान शब्द का मतलब ही है “मुसल्लम ईमान “यानी पूरा ईमान .लोग गलती से ईमान का तात्पर्य उनकी सत्यवादिता या उनकी आस्था समझ लेते हैं (जो है नहीं) . लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ,मुसलमानों के दो गुप्त ईमान policies और भी हैं ,जिनका प्रयोग मुसलमान खुद को बचाने और दूसरों को धोखा देने में करते हैं .मुसलमानों कि इन दो नीतियों Policies या ईमान का नाम है ,तकिय्या और कितमान .इनका विवरण इस प्रकार है – 1 -तकिय्या تقيه Taqiyya इसका अर्थ है छल, ढोंग ,ढकोसला,दिखावा ,सत्य को नकारना ,बहाने बनाना आदि हैं उदाहरण -जब किसी इस्लामी … Continue reading मुसलमानों का ईमान एक झूठ→
अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा- वीर नाथूराम गोडसे… प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय 19 मई 1910 को मुम्बई – पुणे के बीच ‘ बारामती ‘ में संस्कारित राष्ट्रवादी हिन्दु परिवार मेँ जन्मेँ वीर नाथूराम गोडसे एक ऐसा नाम है जिसके सुनते ही लोगोँ के मन-मस्तिष्क मेँ एक ही विचार आता है कि गांधी का हत्यारा। इतिहास मेँ भी गोडसे जैसे परम राष्ट्रभक्त बलिदानी का इतिहास एक ही पंक्ति मेँ समाप्त हो जाता है… गांधी का सम्मान करने वाले गोडसे को गांधी का वध आखिर क्योँ करना पडा, इसके पीछे क्या कारण रहे, इन कारणोँ की कभी भी व्याख्या नही की जाती। नाथूराम गोडसे एक विचारक, समाज सुधारक, पत्रकार एवं सच्चा राष्ट्रभक्त था और गांधी का सम्मान करने वालोँ मेँ भी अग्रिम पंक्ति मेँ था। किन्तु सत्ता परिवर्तन के पश्चात गांधीवाद … Continue reading अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा- वीर नाथूराम गोडसे…→
मदर टेरेसा संत या धोखा एग्नेस गोंक्झा बोज़ाझियू अर्थात मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कोप्जे, मेसेडोनिया में हुआ था और बारह वर्ष की आयु में उन्हें अहसास हुआ कि “उन्हें ईश्वर बुला रहा है”। 24 मई 1931 को वे कलकत्ता आईं और फ़िर यहीं की होकर रह गईं। उनके बारे में इस प्रकार की सारी बातें लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन कुछ ऐसे तथ्य, आँकड़े और लेख हैं जिनसे इस शख्सियत पर सन्देह के बादल गहरे होते जाते हैं। उन पर हमेशा वेटिकन की मदद और मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की मदद से “धर्म परिवर्तन” का आरोप तो लगता ही रहा है, लेकिन बात कुछ और भी है, जो उन्हें “दया की मूर्ति”, “मानवता की सेविका”, “बेसहारा … Continue reading मदर टेरेसा संत या धोखा→
The Q’uran promotes sinful conduct God forgiveth what is past; but whoever doth it again, God will take vengeance on him.” (5: 96.) C. ~ The forgiveness of sin is almost as bad as the sanction of its commission which encourages its further growth. A book whose teachings tend to encourage the commission of sin can neither be the Word of God, nor the work of an enlightened author. It is, on the contrary, on that promotes sinful conduct. It is true though that the prevention of the further commission of sin can be secured by one’s praying to God, repenting of his past conduct and by exerting himself to his utmost (to lead a virtuous life.) Did Allah, himself … Continue reading The Q’uran promotes sinful conduct→
Allah and Enemies What kind of God would have enemies? “Whoso is an enemy to God or his angels or to Gabriel, or to Michael, shall have God for his enemy, for verily God is an enemy to infidels.” (2: 92.) C. ~ Where does this host of partners come from, if, as the Mohammedans say, God is one without a partner? Is he who is an enemy to others also an enemy to God? This can never be true, since God is an enemy to none. “And say forgiveness; and we will pardon you your sins, give an increase to the doers of good.” (2:55) C. ~ Does not this (so-called) Divine teaching encourage people to live sinful lives? … Continue reading Allah and Enemies→