सौर ऊर्जा विषय RV 5.48 Strategy for Progress in this world 1.कदु प्रियाय धाम्ने मनामहे स्वक्षत्राय स्वयशसे महे वयम् | आमेन्यस्य रजसो यदभ्र आँ अपो वृणाना वितनोति मायिनी || ऋ5.48.1 किस प्रकार अपने राष्ट्र अपने जन्म स्थान – क्षेत्र के यश और प्रगति के लिए चारों ओर प्रकृति की मेघादि जलों की उदार वृत्तियों को स्वीकार करती हुयी अनुकूल बुद्धि ग्रहण करें ? What are the strategies for adopting one’s place of birth, his life and nation to attain fame and prosperity by making use of nature’s benevolent bounties like rains and sun shine? 2.ता अत्नत वयुनं वीरवक्षणं समान्या वृतया विश्वमा रजः | अपो अपाचीरपरा अपेजते प्र पूर्वाभिस्तिरते देवयुर्जनः || ऋ5.48.2 देवताओं की विद्वत्ता की कामना करते हुए साधारण जन और वीर जनों के कर्म और … Continue reading वेदों में सौर ऊर्जा विषय→
RV 3 .12 Advice to Teachers on education Devtaa: Indragni = Self motivated & Fired with invincible spirit to always successfully achieve his goal. देवता:-इन्द्राग्नि: = उत्साह और ऊर्जा से पूर्ण सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे विजयी व्यक्ति Create fire in their belly to be ultimate Doers. ऋषि: गाथिनो विश्वामित्र: प्रभु का गायन करने वाला सब के साथ बन्धुत्व को अनुभव करता है और ‘ सखायस्त्वा वृणीमहे हम सब परस्पर सखा बन कर ही प्रभुका वरण कर सकते हैं यही भावना सभी से स्नेह करने वाला प्राणीमात्र का मित्र‘विश्वामित्र’ बना देती है. शिक्षकों को उपदेश = विद्यार्थियों में (इन्द्राग्नि: ) उत्साह पूर्वक सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे विजयी व्यक्तित्व बनाएं 1.इन्द्राग्नी आ गतं सुतं गीर्भिर्नभो वरेण्यम | अस्य पातं धियेषिता ||ऋ3.12.1 To successfully lead their life, instil among your … Continue reading Advice to Teachers on education from Vedas→
Vedas on Nutrition Science (part 1) Rig Ved, 2-40 add RV1-187,RV5.48 AV 3.24, AV 2-26 अन्न विषयः RV1/187 भोजन से पूर्व प्रार्थना अन्नपते अन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः । मम दातारं तारिषऽ ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।। यजु 11-83 Oh Mighty provider of our food- our Chef provide us with food that is free from any harmful organisms and that provides great strength. Oh provider of food, I and my cattle both should be satiated with your food and good measure of energy. About FOOD ऋषिः अगस्त्यो मैत्रावरुणि-।-देवता -अन्नम् Annam RV Rig Veda Book 1 Hymn 187 पितुं नु स्तोषं महो धर्माणं तविषीम | यस्य त्रितो वयोजसा वृत्रं विपर्वमर्दयत् ||ऋ1/187/1 (यस्य) जिस का(त्रित:) मन वचन कर्म से (वि,ओजसा)विविध प्रकार के पराक्रम तथा उपाय से (विपर्वम)अङ्ग उपाङ्गों से पूर्ण जैसे काट, छांट, बीन, छील, पीस कर(वृत्रम) स्वीकार करने योग्य धन, यहां पर धन से अन्न के सन्दर्भ मे तात्पर्य लें,खाने के योग्य (अर्दयत) प्राप्त करे, (नु) … Continue reading Vedas on Nutrition Science→
Gambling & Vedas RV 10.34 ऋ 10.34 प्रावेषा मा बृहतो मादयंति प्रवातेजा इरिणे वर्वृताना: ! सोमस्येव मौजवतस्य भक्षो विभीदको जागृविर्मह्यमच्छान् !! ऋ10/34/1 Rolling of dice on the board attract me like rolling of water down the desert . I get drunk like imbibing sweet wine at the sight of these rolling dice. These dice though made of विभीतक – Terminalia Belerica बहेडा – wood or seeds, are indeed alive and indeed speak to me and lead me astray. न मा मिमेथ न जिहीळ एषा शिवा सखिभ्य उत मह्यमासीत् | अक्षस्याहमेकपरस्य हेतोरनुव्रतामप जायामरोधम् || ऋ10.34.2 Here is my wife who never treats me with disrespect, nor shows her being ashamed of my ugly behavior, has been a well wisher and a great help to me and my family/friends. I have even abandoned such a loving wife, for love these … Continue reading Gambling & Vedas→
1400 years of According to a Obstetrician at Westmead Hospital more than 60% of children born with intellectual handicap in Sydney are Muslims from the Middle East. In breeding in the Muslim world – not suprising. This apparently came from a Lockheed pilot who has had 3 assignments to Saudi Arabia . During the pilot transition program with the KV-107 and C-130 with Lockheed, we found that most Saudi pilot trainees had very limited night vision, even on the brightest of moon lit nights. Their training retention rate was minimal including maintenance personnel. Some had dim memories and had to be constantly reminded of things that were told to them the day before. Needless to say, an American, British or … Continue reading Importance of Gotra Parampara→
Dealing with corrupt persons AV3.9 1. कर्शफस्य विशफस्य द्यौः पिता पृथिवी माता । यथाभिचक्र देवास्तथाप कृणुता पुनः । ।AV3.9.1 हाथ पेर से काम करके जीने वाले और बिना हाथ पेर के अपना जीवन चलाने वालों दोनो को प्रकृति ने समान रूप से जन्म दिया है. यह प्रकृति का चक्र है जो इसी प्रकार से चलता रहता है. 2. अश्रेष्माणो अधारयन्तथा तन्मनुना कृतं । कृणोमि वध्रि विष्कन्धं मुष्काबर्हो गवां इव । । AV3.9.2 (अश्रेष्माण: ) त्रिदोश रहित अनासक्त दयालु मनन करनेवाले विचारशील जन ही (अधारयन) पालन पोषन करते हैं. (विष्किन्धम्) कार्य प्रगति के मार्ग में प्रतिबन्धक सभी विघ्नों को (अधार्मिक भ्रष्टाचारी) जनों से मुक्त करने के लिए उद्दन्ड पशुओं को जैसे मुष्टिका और बाहुबल से बधिया निर्वीर्य किया जाता है वैसे ही इन तत्वों को … Continue reading Dealing with corrupt persons→
Duties of a Householder गृहस्थ के दायित्व – दान और पञ्चमहायज्ञ परिवार विषय अथर्व 6.122, पञ्च महायज्ञ विषय 1. एतं भागं परि ददामि विद्वान्विश्वकर्मन्प्रथमजा ऋतस्य । अस्माभिर्दत्तं जरसः परस्तादछिन्नं तन्तुं अनु सं तरेम । ।AV6.122.1 Wise man perceives that the bounties provided by Nature from the very beginning are only not be considered as merely rewards earned for his labor but considers himself as a trustee for all the blessings from Almighty to be dedicated for welfare of family and society. Dedication of His bounties ensures that life flows smoothly as normal even when the individuals are past their prime active life to participate in livelihood chores. (This system enables the human society to ensure sustainable happiness. People must dedicate their … Continue reading गृहस्थ के दायित्व→
स्वंत्रता-परतंत्रता लेखक- स्वामी विष्वअंग् जी , ऋषि उद्यान – अजयमेरू नगरी व्यक्तियों के अनेको सम्बन्ध होते है,जैसे माता-पिता के साथ, पति-पत्नी के साथ, सांस-बहु के साथ, श्वशुर-बहु के साथ, भाई-बहन के साथ, गुरु-शिष्य के साथ, पडोसी के साथ, व्यापारी-सेवक के साथ, समाज के साथ………….इस प्रकार अलग-अलग अन्रको सम्बन्ध है | इन संबंधो के साथ रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति चाहते या न चाहते हुए अनेको कार्य करता है | ऐसा प्रतीत होता है की सारा जीवन पराधीनता से युक्त है | फिर भी यह कहा जाता है की मनुष्य स्वतंत्र है अर्थात करने, न करने या अन्यथा करने में स्वतंत्र है | क्या हम पराधीन है या स्वाधीन है ? अर्थात परतंत्र है या स्वतंत्र है ? यद्यपि … Continue reading स्वतंत्रता-परतंत्रता→
मुसलमान बड़े मूर्तिपूजक -निश्चय हम तेरे मुख को आसमान में फिरता देखते हैं अवश्य हम तुझे उस कि़बले को फेरेंगे कि पसन्द करे उसको, बस अपना मुख मस्जि दुल्हराम की ओर फेर, जहाँ कहीं तुम हो अपना मुख उसकी ओर फेर लो।। मं0 1। सि0 2। सू02। आ0 1443 समी0 -क्या यह छोटी बुत्परस्ती है? नहीं, बड़ी। पूर्वपक्षी-हम मुसलमान लोग बुत्परस्त नहीं हैं।किन्तु,बुत्शिकन अर्थात् मुर्तों को तोड़नेहारे है, क्योंकि हम कि़बले को खुदा नहीं समझते। उत्तरपक्षी-जिनको तुम बुत्परस्त समझते हो,वे भी उन उनमुर्तों को ईश्वर नहीं समझते किन्तु उनके सामने परमेश्वर की भक्ति करते हैं। यदि बुतों के तोड़ने हारे हो तो उस मस्जिद कि़बले बड़े बुत को क्यों न तोड़ा? पूर्वपक्षी-वाह जी! हमारे तो कि़बले की ओर मुख फेरने … Continue reading मुसलमान बड़े मूर्तिपूजक→
खुदा या शैतान – और काटें जड़ काफि़रों की।। मैं तुमको सहाय दूंगा साथ सहस्र फरिश्तों के पीछे2 आने वाले।। अवश्य मैं काफि़रों के दिलों में भय डालूंगा, बस मारो ऊपर गर्दनों के मारो उनमें से प्रत्येक पोरी (संधि) पर।। मं0 2। सि0 9। सू0 8। आ0 7। 9। 12 समी0-वाह जी वाह ! कैसा खुदा और कैसे पैग़म्बर दयाहीन। जो मुसलमानीमत से भिन्न काफि़रों की जड़ कटवा वे। और खुदा आज्ञा देवे उनको गर्दन पर मारो और हाथ पग के जोड़ों को काटने का सहाय और सम्मति देवे ऐसा खुदा शैतान से क्या कुछ कम है ? यह सब प्रपञ्च कुरान के कर्ता का है, खुदा का नहीं। यदि खुदा का हो तो ऐसा खुदा हम से दूर और हम उस … Continue reading खुदा या शैतान→