सृष्टि का आदिकाल

मेघ, इंद्र, परमेश्वर विद्या  (सृष्टि  का आदिकाल ) 15 हिरण्यस्तूप आङ्गिरस: । इन्द्र:। त्रिष्टुप् । Scientific Background Quoted thankfully from “the secret life of GERMS” by Philip M. Tierno) (According to modern science during the period of formation of Earth’s History, intense volcanic activity was producing oxygen by releasing it from Earth’s interior. In the primordial soup, ancient blue green algae lived by photosynthesis, and also produced Oxygen. Over the course of perhaps three  billion years, the Oxygen produced by algae and the Oxygen spewed by the volcanoes changed the Earth’s atmosphere , creating an Oxygen blanket that allowed higher life forms to evolve from germs. Oxygen in upper atmosphere came in contact with UV (Ultra Violet) Rays and electrical … Continue reading सृष्टि का आदिकाल

वेदों में प्रातः भ्रमण

Morning Walk  in Veda  14.2 स्योनाद्‌ योनेरधि बुध्यमानौ हसामुदौ महसा मोदमानौ । सुगू सुपुत्रौ सुगृहौ तराथो जीवावुषसो विभाती: ॥ AV 14.2.43 सुखप्रद शय्या से उठते हुए, आनंद चित्त से प्रेम मय हर्ष  मनाते हुए, सुंदर आचरण से युक्त, श्रेष्ठ पुत्रादि संतान,  उत्तम गौ,  सुख सामग्री से युक्त घर में निवास करते हुए सुंदर प्रकाश युक्त प्रभात वेला का दीर्घायु के लिए सेवन करो. प्रात: भ्रमण के लाभ नवं वसान: सुरभि: सुवासा उदागां जीव उषसो विभाती:  । आण्डात्‌ पतत्रीवामुक्षि विश्वस्मादेनसस्परि ॥ AV14.2.44 स्वच्छ नये जैसे आवास और परिधान कपड़े आदि के साथ स्वच्छ वायु में सांस लेने वाला मैं आलस्य जैसी बुरी आदतों से छुट कर, विशेष रूप से सुंदर लगने वाली  प्रात: उषा काल में उठ कर  अपने घर से निकल कर घूमने चल पड़ता हूं जैसे एक … Continue reading वेदों में प्रातः भ्रमण

लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन रिलेशनशिप लेखक – इंद्रजीत ‘देव’ मार्च २०१० में भारतीय उच्चतम न्यायलय ने एक महत्व पूर्ण निर्णय  दिया है । बिना विवाह किये भी कोई भी युवक व युवती अथवा पुरुष व स्त्री इकट्ठे रह  सकते हैं । यदि कृष्ण व राधा बिना परस्पर  विवाह किये एकत्र रह सकते थे तो आज के युवक युवती / पुरुष स्त्री ऐसा क्यूँ नहीं कर सकते ? . “यह निर्णय महत्वपूर्ण ही नहीं , भयंकर हानिकारक भी है । इसका परिणाम यह निकलेगा कि आपकी गली में कोई पुरुष व स्त्री बिना विवाह किये आकर रहने लगेंगे, तो आप व आपकी गली में रहने वाले अन्य लोगों को उनका वहाँ रहना अत्यंत बुरा, समाज व परिवार को दूषित करने वाला प्रतीत होगा, … Continue reading लिव इन रिलेशनशिप

शौर्य का हिमालय – स्वामी श्रद्धानन्द

शौर्य का हिमालय – स्वामी श्रद्धानन्द लेखक – प्रो राजेंद्र जिज्ञासु आधुनिक युग में विश्व के स्वाधीनता सेनानियों में स्वामी श्रद्धानन्द  का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखने योग्य है । वह राजनीतिज्ञ नहीं थे राजनीति को मोड़ देने वाले विचारक थे । महर्षि दयानन्द जी महाराज ने ऋग्वेद भाष्य में लिखा है – कि ब्रहम्चारी, यति, वनस्थ, सन्यासी के लिए राज व्यवहार की प्रवृति  होनी योग्य नहीं । इस आर्ष नीति और मर्यादा का पालन करते हुए स्वामी श्रद्धानन्द राजनीति के दलदल में फंसना अनुचित मानते थे । जब जब देश को उनके मार्गदर्शन की आश्यकता हुयी, वह संकट सागर की अजगर सम लहरों को चीरते हुए आ गए । वह अतुल्य पराक्रमी थे । शौर्य के हिमालय थे । … Continue reading शौर्य का हिमालय – स्वामी श्रद्धानन्द

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)