शम्बूक वध का सत्य

शम्बूक वध का सत्य  लेखक – स्वामी विद्यानंद सरस्वती एक दिन एक ब्राह्मण का इकलौता लड़का मर गया । उस ब्राह्मण के लड़के के शव को लाकर राजद्वार पर डाल दिया और विलाप करने लगा । उसका आरोप था कि अकाल मृत्यु का कारण राजा का कोई दुष्कृत्य है । ऋषी मुनियों की परिषद् ने इस पर विचार करके निर्णय किया कि राज्य में कहीं कोई अनधिकारी तप कर रहा है क्योंकि :- राजा के दोष से जब प्रजा का विधिवत पालन नहीं होता तभी प्रजावर्ग को विपत्तियों का सामना करना पड़ता है ।  राजा के दुराचारी होने पर ही प्रजा में अकाल मृत्यु होती है ।  रामचन्द्र  जी ने इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों को बुलवाया … Continue reading शम्बूक वध का सत्य

शबरी

शबरी लेखक- स्वामी विद्यानंद सरस्वती लोकोक्ति है कि शबरी नामक भीलनी ने राम को अपने जूठे बेर खिलाये थे । इस विषय में अनेक कवियों ने बड़ी सरस और भावपूर्ण कवितायेँ भी लिख डालीं । परन्तु वाल्मीकि रामायण में न कोई भीलनी है और न बेर फिर बेरों के झूठे होने का तो प्रसंग ही नहीं उठता । सीता की खोज करते हुए जिस शबरी से रामचन्द्र जी की भेंट हुयी थी वह शबर जाति की न होकर शबरी नामक श्रमणी थी ७३/२६ ।  उसे ‘धर्म संस्थिता’ कहा गया है ७४/७ । राम ने भी उसे सिद्धासिद्ध और तपोधन कहते हुए सम्मानित किया  था  ७४/१० । सनातन धर्मी नेता स्वामी करपात्री के अनुसार शबरी का शबर जाती का होना और … Continue reading शबरी

अहल्योद्धार

अहल्योद्धार लेखक – स्वामी विद्यानंद सरस्वती   धुरिधरत निज सीस पैकहु रहीम केहि काज | जेहिरज  मुनि पत्नी तरी तेहिढूँढत गजराज || कहते हें कि हाथी चलते चलते अपनी सूंड से मिट्टी उठाकर अपने शरीर पर डालता रहता है ।  वह ऐसा क्यों करता है ? रहीम के विचार में वह उस मिट्टी को खोज रहा है जिसका स्पर्श पाकर मुनि पत्नी का उद्धार हो गया था ।  इस दोहे में जिस घटना का संकेत है उसके अनुसार गौतम मुनि की पत्नी अहल्या अपने पति के शाप से पत्थर हो गयी थी और रामचंद्र जी के चरणों की घुलि का स्पर्श पाकर पुनः मानवी रूप में आ गयी थी । पौराणिक कथा के अनुसार – एक समय ब्रह्मा जी ने … Continue reading अहल्योद्धार

स्वामी श्रद्धानन्द समय की चुनौती का जवाब थे

  स्वामी श्रद्धानन्द समय की चुनौती का  जवाब थे लेखक – सत्यव्रत सिद्धांतालंकार आरनॉल्ड तोयनबी एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हुए हैं।  उन्होंने समाज में होने वाले परिवर्तनों के सम्बन्ध में एक नियम का प्रतिपादन किया है।  उनका कथन है कि समाज में जब कोई असाधारण स्तिथी उत्पन्न हो जाती है , तब वह व्यक्ति तथा समाज के लिए चुनौती या चैलेंज का रूप धारण कर लेती है ।  वह परिस्तिथी व्यक्ति या समाज को मानो ललकारती है , उसके सामने एक आवाहन पटकती है और पूछती है कि है कोई माई का लाल जो इस असाधारण परिस्तिथी का इस ललकार का , इस चैलेंज का , इस आवाहन का , मर्द होकर सामना कर सके ।  इस ललकार का जवाब दे … Continue reading स्वामी श्रद्धानन्द समय की चुनौती का जवाब थे

Is there any peaceful verse in Quran?

Many Muslims as well as Non-Muslims quote some verses from Qur’an which preaches peace, and Non-Violence, while discussing Violent teaching of Islam. These people simply copy-paste from some Islamic site, which is a very desperate move to prove Islam is a Peaceful Religion. In this article I’ll show the real meaning of those so-called peaceful verses, using their context and the historical reasons behind the revelation of those alleged peaceful verse of Quran. But let us see first, what mainly Islamic sites say about Qur’an and Peace. “Islam as a religion is totally committed to peace and security. It views with great contempt, breach of peace, anarchy, rioting and terrorism. Muslims as Ummah are a peace-loving community. Jehad under Islam is allowed subject to certain conditions.” [Daroolum-Deoband] One … Continue reading Is there any peaceful verse in Quran?

लव कुश के जन्म की यथार्थ कहानी….

लव कुश के जन्म की यथार्थ कहानी….  लेखक – स्वामी विद्यानंद जी सरस्वती राम द्वारा अयोध्या यज्ञ में महर्षि वाल्मीकि  आये  उन्होंने अपने दो हष्ट पुष्ट शिष्यों से कहा – तुम दोनों भाई सब ओर  घूम फिर कर बड़े आनंदपूर्वक सम्पूर्ण रामायण का गान करो। यदि  श्री रघुनाथ  पूछें – बच्चो ! तुम दोनों किसके पुत्र हो तो महाराज से कह देना कि हम  दोनों भाई महर्षि वाल्मीकि के शिष्य हैं । ९३ /५ उन दोनों को देख सुन कर  लोग परस्पर कहने लगे – इन दोनों कुमारों की आकृति बिल्कुल रामचंद्र जी से मिलती है ये बिम्ब से प्रगट हुए प्रतिबिम्ब के सामान प्रतीत होते हैं ।  ९४/१४ यदि इनके सर पर जटाएं न होतीं और ये वल्कल वस्त्र न … Continue reading लव कुश के जन्म की यथार्थ कहानी….

क्या क़ुरान खुदा की लिखी है …..

क्या क़ुरान खुदा की लिखी है …..   -क़सम है कुरान दृढ़ की।। निश्चय तू भेजे हुओं से है।। उस पर मार्ग सीधे के।। उतारा है ग़ालिब दयावान ने।। मं0 5। सि0 23। सू0 36। आ0 2-5 समी0 -अब देखिये ! यह क़ुरान खुदा का बनाया होता तो वह इसकी सौगंध क्यों खाता ? यदि नबी खुदा का भेजा होता तो लेपालक बेटे की स्त्री पर मोहित क्यों होता ?  यह कथनमात्र है कि कुरान के मानने वाले सीधे मार्ग पर हैं। क्योंकि सीधा मार्ग वही होता है जिसमें सत्य मानना, सत्य बोलना, सत्य करना; पक्षपात रहित न्याय धर्म का आचरण करना आदि हैं और इससे विपरीत का त्याग करना । सो न कुरान में न मुसलमानो में और न … Continue reading क्या क़ुरान खुदा की लिखी है …..

खुदा के भी दुश्मन ! यह कैसा खुदा …..

 खुदा के भी दुश्मन यह कैसा खुदा ….. -आनन्द का सन्देशा ईमानदारों को।। अल्लाहफरिश्तों पैगम्बरों जिबरइर्ल और मीकाईल का जो शत्रु है अल्लाह भी ऐसे काफि़रों का शत्रु है | मं0 1सि01।सू0 2। आ0 97 -98 समी0 -जब मुसलमान कहते हैं कि ‘ख़ुदा लाशरीक’ है फिर यह फौज की फौज ‘शरीक’ कहासे कर दी ? क्या जो औरों का शत्रु वह ख़ुदा का भी शत्रु है ? यदि ऐसा है तो ठीक नहीं क्योंकि ईश्वर किसी का शत्रु नहीं हो सकता | -और कहो कि क्षमा मांगते हैं हम क्षमा करंगे तुम्हारे पाप और अधिकभलाई करने वालों के।। मं0 1। सि0 1। सू0 2। आ0 58 समी0 -भला यह ख़ुदा का उपदेश सब को पापी बनाने वाला है वा नहीं … Continue reading खुदा के भी दुश्मन ! यह कैसा खुदा …..

क्या अल्लाह ने भोले लोगों को बहकाने के लिए शैतान को भेजा …

क्या अल्लाह ने भोले लोगों को बहकाने के लिए शैतान को भेजा ….. -अल्लाह ने माफ किया जो हो चुका, और जो कोई फिर करेगा अल्लाह उससे बदला लेगा।। मं0 2। सि0 7। सू0 5। आ0 95 समी0-किये हएु पापों का क्षमा करना जानों पापों के करने की आज्ञा देके बढ़ाना है | पाप क्षमा करने की बात जिस पुस्तक में हो वह न ईश्वर और न किसी विद्वान् का बनाया है, किन्तु पापवर्द्धक है। हां, आगामी पाप छुड़ाने के लिये किसी से प्रार्थना और स्वयं छोड़ने के लिये पुरुषार्थ, पश्चाताप करना उचित है,परन्तु केवल पश्चातापकरता रहे, छोड़े नहीं, तो भी कुछ नहीं हो सकता | -क्या नहीं देखा तूने यह कि भेजा हमने शैतानों को ऊपर काफि़रों के बहकाते … Continue reading क्या अल्लाह ने भोले लोगों को बहकाने के लिए शैतान को भेजा …

The Martyred Hero

By Prof S.N. Pherwani The first Impression That tall, commanding, noble figure, the Governor and Founder of the Gurukula, Mahaltma Munshiram – that was my first impression of Swami ji as I joined my work as profession at the Gurukul University, Kangri. Always accessible, affable, he had his own way to all human hearts that came in contact with him. Kula – Pita, the father of that family, the larger family of the teachers’ Home he had founded, he was such in fact and not only in name. The Brahmcharis as well as the workers could approach him at all times, lay their private and personal difficulties and distresses before them, and get soothing, satisfactory advice and aid from him. … Continue reading The Martyred Hero

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)