हदीस : मुहम्मद का अपनी बीवियों से अलगाव

मुहम्मद का अपनी बीवियों से अलगाव

ईला अपनी बीवी से अस्थायी अलगाव है। इस अर्थ में मोमिन सचमुच भाग्यशाली है कि उनके सामने पैगम्बर ने एक ”आदर्श उदाहरण“ पेश किया है।

 

मुहम्मद को एक बार उनतीस दिन के लिए अपनी बीवियों से अलग रहना पड़ा। सही मुस्लिम उस घटना का वर्णन अनेक अहादीस में करती है। पर उस पर विचार करने के पहले हम पृष्ठभूमि के रूप में कुछ जानकारी प्रस्तुत कर देते हैं।

 

अपनी अनेक बीवियों के पास जाने के लिए मुहम्मद पारी का एक सीधा साधा नियम चलाते थे। दरअसल उनकी जीवनचर्या के दिन, जिन बीवियों के पास वे जाते थे, उनके नाम से ही जाने जाते थे। एक दिन मुहम्मद को हफ्ज़ा के यहां जाना था, पर उसकी बजाय हफ्जा ने देखा कि वे अपनी कोष्टवंशीय और रखैल सुन्दरी मरियम के पास हैं। हफ्जा बिफर उठी। चीख कर बोली-”मेरे ही कमरे में, मेरे ही पारी में और मेरे ही बिस्तर पर।“ मुहम्मद ने उसे शांत करने की कोशिश करते हुए वायदा किया कि वे फिर कभी भी मरियम के पास नहीं जायेंगे। पर साथ ही उन्होंने हफ्जा से अनुरोध किया कि वह इस घटना को गुप्त रखे।

 

किन्तु हफ्ज़ा ने यह बात आयशा को बता दी। और बहुत जल्दी ही सब लोगों ने इसे सुन लिया। मुहम्म्द की कुरैश बीवियां मरियम से नफरत करती थी और ”उस कम्बख़्त कमीनी“ से जलती थीं, जिसने मुहम्मद का एक पुत्र भी पैदा किया था। जल्दी ही हरम में गपशप, रोष और तानाज़नी का माहौल बन गया। मुहम्मद बहुत क्रुद्ध हो उठे और उन्होंने अपनी बीवियों से कहा कि मुझे तुमसे कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने अपने को उनसे अलग कर लिया। और जल्दी ही यह अफवाह फैल गयी कि वे उन सबको तलाक दे रहे हैं। वस्तुतः मोमिनों की दृष्टि में यह अफ़वाह इस खबर से ज्यादा दिलचस्प और महत्त्वपूर्ण थी कि मदीना पर जल्दी ही घसान (रूम के सहायक अरब एक कबीले) का हमला होने वाला है।

 

एक लंबी हदीस में उमर बिन अल-खत्ताव (हफ़्ज़ा के पिता) बतलाते हैं-”जब रसूल-अल्लाह ने अपनी बीवियों से खुद को अलग कर लिया, तब मैं मस्जिद में गया और मैंने देखा कि लोग जमीन पर कंकड़ फेंक कर कह रहे हैं-अल्लाह के पैगम्बर ने अपनी बीवियों को तलाक दे दिया।“ उमर ने सच्चाई जानने का निश्चय किया। पहले उन्होंने आयशा से पूछा कि क्या उसने ”अल्लाह के पैगम्बर को तकलीफ देने का दुस्साहस किया है।“ आयशा ने उनसे कहा कि अपना रास्ता नापो। “मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है, तुम अपने भाण्डे (हफ्ज़ा को) सम्हालो।“ फिर उमर हफ़्ज़ा के पास गये और उसे झिड़का-”तू जानती है कि अल्लाह के पैगम्बर तुझे प्यार नहीं करते और यदि मैं तेरा पिता न होता, तो वे तुझे तलाक़ दे चुके होते।“ वह बुरी तरह रोने लगी।

 

तब उमर ने मुहम्मद के सामने हाजिर होने की इजाज़त चाही। प्रार्थना नामंजूर कर दी गयी। पर उन्होंने आग्रह जारी रखा। उन्होंने मुहम्मद के दरबान रहाब, से कहा-”ऐ रहाब ! मेरे लिए अल्लाह के पैगम्बर से इजाज़त लो। मुझे लगता है कि अल्लाह के पैगम्बर यह समझ रहे हैं कि मैं हफ़्ज़ा के वास्ते आया हूं। कसम अल्लाह की ! अगर अल्लाह के पैगम्बर मुझे उसकी गर्दन उड़ा देने का हुक्म देंगे, तो मैं यकीनन वैसा करूंगा।“ उसको इजाज़त मिल गयी।

 

उमर जब भीतर गये, तो देखा कि “उन (मुहम्मद) के चेहरे पर गुस्से की छाया है।“ अतः उन्होंने मुहम्मद को शांत करने की कोशिश की। वे बोले-”हम कुरैश लोग अपनी औरतों पर आधिपत्य रखते थे। लेकिन जब हम मदीना आये, तो हमने देखा कि यहां के लोगों पर उनकी औरतों का आधिपत्य है। और हमारी औरतों ने उनकी औरतों की नक़्ल करना शुरू कर दिया।“

 

उन्होंने यह भी कहा-”अल्लाह के पैगम्बर ! आपको अपनी बीवियों से मुश्किल क्यों महसूस हो रही है ? अगर आपने उन्हें तलाक दे दिया है तो यकीनन अल्लाह आपके साथ है और अल्लाह के फरिश्ते जिब्रैल तथा मिकैल, मैं और अबु बकर सब मोमिन आपके साथ हैं।“

 

मुहम्मद कुछ ढीले पड़े। उमर बतलाते हैं-“मैं उने तब तक बात करता रहा, जब तक उनके चेहरे से गुस्सा मिट नहीं गया …… और वे हंसने लगे।“ इस नये मनोभाव की दशा में पैगम्बर पर कुरान की वे प्रसिद्ध आयतें उतरीं, जिनमें उन्हें मरियम के बारे में उनकी कसम से मुक्त कर दिया गया, उनकी बीवियों को तलाक़ की धमकी दी गई, और उमर का यह आश्वासन भी शामिल किया गया कि सभी फरिश्ते और मोमिन उनके साथ हैं। अल्लाह ने कहा-“ऐ पैगम्बर ! अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो जायज़ किया है, उससे तुम अपने-आपको वंचित क्यों करते हो ? क्या अपनी बीवियों को खुश करने की ललक से ? ….. अल्लाह ने तुम्हारे लिए तुम्हारी कसमों का कफ़्फ़ारा मुक़र्रर कर दिया है।“ अल्लाह ने पैगम्बर की बीवियों से भी साफ-साफ कह दिया कि “अगर वह तुम्हें तलाक़ दे देता है तो अल्लाह बदले में उसे तुमने बेहतर बीवियां दे देगा।“ अल्लाह ने उन सब को, खासकर आयशा और हफ़्ज़ा को, इन शब्दों में चेतावनी दी-”तुम दोनों अल्लाह के आगे तौबा करो-क्योंकि तुम्हारे दिन क़ज़ हो गये हैं-लेकिन अगर तुम उसके खिलाफ परस्पर सांठगांठ करोगी, तो निश्चय ही अल्लाह मालिक है, और अल्लाह और जिब्रैल और नेक मुसलमान और फ़रिश्ते सब उसके साथ हैं।“ अल्लाह ने उनसे यह भी कहा कि अगर वे उसके साथ दुव्र्यवहार करेंगी तो पैगम्बर की बीवी होना, कयामत के रोज, उनके किसी काम नहीं आएगा। “जो लोग यकीन नहीं लाते, उनके सामने अल्लाह मिसाल पेश करता है। नूह की बीवी और लूत की बीवी की मिसाल सामने हैं। वे दोनों दो नेक बंदों की ब्याहता थी और दोनों ने खयानत की। और अल्लाह के मुक़ाबले में उन औरतों के खाविंद उनके किसी काम न आये। और उनसे कहा गया-दाखिल होने वालीं के सथ तुम भी (दोज़ख़ की) आग में दाखिल हो जाओ“ (कुरान 66/1-10)।

 

बात आयी-गयी हो गयी। और वे सब फिर उनकी बीवियां बन गयी। पाक पैगम्बर ने उनसे (अपनी बीवियों से) “एक महीने तक अलग रहने की कसम खायी थी और अभी सिर्फ उनतीस दि नही गुजरे थे। किन्तु वे उनके पास पहुंच गए।“ आयशा ने शरारतन पैगम्बर को याद दिलाया कि एक महीना पूरा नहीं हुआ है, सिर्फ उनतीस दिन ही हुए हैं। इस पर मुहम्मद ने जवाब दिया-”कई बार महीने में उनतीस रोज ही होते हैं। (3507-3511)

 

उमर अब मस्जिद के दरवाजे पर खड़े हो गये और पूरे ज़ोरों से पुकार कर बोले-“अल्लाह के पैग़म्बर ने अपनी बीवियों को तलाक़ नहीं दिया है।“ मुहम्मद पर एक आयत भी उतरी, जिसमें मोमिनों को इसके लिए झिड़का गया कि वे इतनी जल्दी अफ़वाहों पर यक़ीन कर लेते हैं-“और अगर उनके पास अमन या खतरे की कोई खबर पहुंचती है, तो उसे मशहूर कर देते हैं। लेकिन अगर उन्होंने उसे पैगम्बर या सरदारों के पास पहुंचाया होता तो तहक़कीक़ करने वाले तहक़ीक़ कर लेते“ (4/83; हदीस 3507)।

author : ram swarup

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *