मुहम्मद के लिए आशीष
मोमिन जब मुअज्जिन की आवाज सुनें, तो उन्हें उस की आवाज दुहरानी चाहिए और मुहम्मद के लिए आर्शीवाद की याचना करनी चाहिए। मुहम्मद कहते हैं कि उन्हें ”अल्लाह से मेरे लिए अल-वसीला मांगना चाहिए, जो कि जन्नत में अल्लाह के सेवकों में से सिर्फ एक के लिए नियत पद है। अगर कोई मेरे लिए यह दुआ करता है कि मुझे वसीला दिया जाय तो उसे मेरी मध्यस्थता का आश्वासन है“ (747)।
इस प्रतिपादन का एक अन्य विवरण भी है। यदि कोई व्यक्ति मुअज्जिन को सुनकर यह घोषित करते हुए प्रत्युत्तर देता है कि वह ”अल्लाह को अपना आराध्य, मुहम्मद को रसूल और इस्लाम को अपना दीन (मज़हब) मानकर संतुष्ट हैं, तो उसके पाप माफ कर दिये जायेंगे“ (749)।
अपने लिए आशीष चाहते समय मुहम्मद अपने बीवी-बच्चों को नहीं भूलते। मुहम्मद से पूछा गया- ”अल्लाह के रसूल ! हम आपको आशीष किस प्रकार दें ?“ उन्होंने बतलाया-”ऐ अल्लाह ! मुहम्मद पर कृपा करो और उसकी बीवियों और उसके बच्चों पर कृपा करो……जो मुझे एक बार आशीष देता है, उस पर अल्लाह दस बार कृपा करता है“ (807-808)।
author : ram swarup