या रोगिणी स्यात्तु हिता संपन्ना चैव शीलतः । सानुज्ञाप्याधिवेत्तव्या नावमान्या च कर्हि चित्

जो बड़ा  भाई छोटे भाइयों को लाभ में आकर ठगे, पूरा भाग न दे तो उसे बड़े के रूप में नहीं मानना चाहिए और उसे बड़े भाई के नाम का उद्धार भाग भी नही देना चाहिए और वह राजा के द्वारा दण्डनीय होता है ।

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