पति वीर्यरूप में स्त्री में प्रवेश करके गर्भ बनकर सन्तानरूप से संसार में उत्पन्न होता है स्त्री का यही जायापन = स्त्रीपन है जो इस स्त्री में सन्तानरूप में पति पुनः उत्पन्न होता है ।
पति वीर्यरूप में स्त्री में प्रवेश करके गर्भ बनकर सन्तानरूप से संसार में उत्पन्न होता है स्त्री का यही जायापन = स्त्रीपन है जो इस स्त्री में सन्तानरूप में पति पुनः उत्पन्न होता है ।