पृथोरपीमां पृथिवीं भार्यां पूर्वविदो विदुः । स्थाणुच्छेदस्य केदारं आहुः शाल्यवतो मृगम्

(अथवा सम्मिलतरूप मे रहना हो तो) (पित्र्यं धनम् अशेषतः ज्येष्ठ एव तु गृह्णीयात्) पिता के सारे धन को बड़ा पुत्र ही ग्रहण करले (शेषाः) और बाकी सब भाई (यथैव पितरम्) जैसे पिता के साथ रहते थे (तथा तम् उपजीवेयुः) उसी प्रकार बड़े भाई के साथ रहकर जीवन चलावे ।

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