शुद्ध-पवित्र (शरीर एवं मन से), अपने से उत्कृष्ट वर्ण वालों की सेवा करने वाला, मधुरभाषी, अहंकार से रहित सदा ब्राह्मण आदि तीनों वर्णो की सेवा में संलग्न शूद्र भी उत्तम वर्ण को प्राप्त कर लेता है ।
शुद्ध-पवित्र (शरीर एवं मन से), अपने से उत्कृष्ट वर्ण वालों की सेवा करने वाला, मधुरभाषी, अहंकार से रहित सदा ब्राह्मण आदि तीनों वर्णो की सेवा में संलग्न शूद्र भी उत्तम वर्ण को प्राप्त कर लेता है ।