(वृत्ति विधाय प्रोषिते) जीविका का प्रबन्ध करके पति के परदेश जाने पर (नियमम् + पास्थिता जावेत्) स्त्री अपने नियमों का पालन करती हुई जीवनयात्रा चलायें (पविधाय + एव तु प्रोषिते) यदि पति बिना जीविका का प्रबन्ध किये परदेश चला जाये तो (अगर्हितेः शिल्पैः जोवेत्) अनिन्दित शिल्पकार्यो (सिलाई करना, बुनना, कातना आदि) को करके अपनी जीवनयात्रा चलाये ।