पुत्रं प्रत्युदितं सद्भिः पूर्वजैश्च महर्षिभिः । विश्वजन्यं इमं पुण्यं उपन्यासं निबोधत ।

(कार्यवान् नरः) किसी आवश्यक कार्य के लिए परदेश में जाने वाला मनुष्य (भार्यायाः वृत्ति विधाय प्रवसेत्) अपनी पत्नी की भरण-पोषण की जीविका देकर परदेश में जाये (हि) क्योंकि (अवृत्तिकर्षिता स्थितिमती + अपि स्त्री) जीविका के अभाव से पीड़ित होकर शुद्ध आचरण वाली स्त्री भी (प्रदुष्येत्) दूषित हो सकती है ।

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